महंगाई ने बदला शादी का ट्रेंड, मंदिरों में बढ़ रही ‘सिंपल वेडिंग’ की लोकप्रियता

डुमरांव में इन दिनों लग्न सीजन ने रौनक तो बढ़ाई है, पर महंगाई ने शादी-ब्याह के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव ला दिया है। बढ़े हुए खर्च, दिखावे की परंपरा और तैयारियों की जद्दोजहद से बचने के लिए निम्न व मध्यमवर्गीय परिवार अब मंदिरों में सादगीपूर्ण विवाह का विकल्प चुन रहे हैं। शहर के काली मंदिर, डुमरेजनी मंदिर और बाबा जंगलीनाथ महादेव मंदिर में प्रतिदिन चार से पांच शादियां धूमधाम से नहीं, बल्कि सादगी के साथ सम्पन्न हो रही हैं।

महंगाई ने बदला शादी का ट्रेंड, मंदिरों में बढ़ रही ‘सिंपल वेडिंग’ की लोकप्रियता

__ खर्च में कटौती और भगवान की साक्षी में लिए जा रहे सात फेरे, प्रतिदिन हो रहीं 4–5 शादियां

केटी न्यूज/ डुमरांव 

डुमरांव में इन दिनों लग्न सीजन ने रौनक तो बढ़ाई है, पर महंगाई ने शादी-ब्याह के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव ला दिया है। बढ़े हुए खर्च, दिखावे की परंपरा और तैयारियों की जद्दोजहद से बचने के लिए निम्न व मध्यमवर्गीय परिवार अब मंदिरों में सादगीपूर्ण विवाह का विकल्प चुन रहे हैं। शहर के काली मंदिर, डुमरेजनी मंदिर और बाबा जंगलीनाथ महादेव मंदिर में प्रतिदिन चार से पांच शादियां धूमधाम से नहीं, बल्कि सादगी के साथ सम्पन्न हो रही हैं।वर-वधू के परिवार भगवान को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं और कुछ गिने-चुने रिश्तेदारों की मौजूदगी में शादी के सभी रस्मों को निपटा लेते हैं। इससे न केवल फिजूलखर्ची से राहत मिलती है, बल्कि दिनभर में विवाह विधि पूरी कर परिवारजन अपने-अपने घर लौट जाते हैं।

महंगाई ने इस बार लोगों की जेब पर गहरा असर डाला है। सामानों की खरीदारी हो या टेंट-बाजा की बुकिंग, हर जगह दामों में भारी वृद्धि देखी जा रही है। सोना-चांदी के जेवरातों की कीमतें पिछले साल की तुलना में काफी उछल गई हैं, जिससे कन्या पक्ष के अरमानों पर पानी फिर रहा है। मौर, सिंहोरा और अन्य पारंपरिक विवाह सामग्री तक महंगी हो गई हैं। बारातियों की आवभगत में कटौती करने की सोच से कई परिवार असहज महसूस कर रहे हैं, वहीं रिश्तेदारों की खरीदारी को लेकर वर पक्ष भी चिंतित है।

डुमरांव मंडी में लग्न के दिनों में चहल-पहल तो है, पर जरूरी वस्तुओं के दाम सुनकर कई खरीदार खरीदारी से कतराते दिखे। टेंट, सामियाना, होटल, गाड़ी, सजावट और बैंड-बाजा तक के रेट में बेतहाशा वृद्धि ने परिवारों की चिंता और बढ़ा दी है। खाद्य सामग्री और सब्जियों की कीमतें तक आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं।

यही कारण है कि गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों में मंदिर विवाह की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ी है। राम चौधरी, मीना देवी और मनोज राजभर जैसे कई लोगों ने बताया कि पहले की तुलना में शादी का खर्च कई गुना बढ़ गया है। सबकी खातिरदारी करना मुश्किल हो गया है, इसलिए वर पक्ष के परामर्श से मंदिर में शादी करने का निर्णय लिया गया।

डुमरेजनी मंदिर में शनिवार को बेटी की शादी कर चुके सरोज राम बताते हैं कि मंदिर में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं। वर पक्ष ने भी इस सादगीपूर्ण विवाह पर सहमति जताई है, जिससे बिना तनाव के विवाह संपन्न हो गया।महंगाई के इस दौर में मंदिरों में होने वाली सादगीपूर्ण शादियां न केवल लोगों को खर्च से राहत दे रही हैं, बल्कि सामाजिक रूप से एक सकारात्मक संदेश भी दे रही हैं कि शादी प्रेम, विश्वास और सरलता का बंधन है, दिखावे का नहीं।