डुमरांव स्टेशन के मुख्य निकास पर जाम का ‘रेड अलर्ट’
डुमरांव रेलवे स्टेशन के मुख्य निकास द्वार के पास जाम की समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है। हालात इतने बदतर हैं कि दिन के अधिकांश समय यहां पैदल चलना तक मुश्किल हो जाता है। स्टेशन से बाहर निकलते ही ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा और ठेले की बेतरतीब कतारें यात्रियों के रास्ते में दीवार बनकर खड़ी रहती हैं। जैसे ही कोई ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आती है, स्टेशन परिसर और निकास द्वार के बाहर अफरातफरी मच जाती है। बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चों के साथ यात्रा करने वाले यात्री सबसे ज्यादा परेशान नजर आते हैं।
-- ई-रिक्शा, ऑटो और ठेले की अराजकता से यात्री बेहाल, कई बार छूट रही ट्रेनें
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव रेलवे स्टेशन के मुख्य निकास द्वार के पास जाम की समस्या अब गंभीर रूप ले चुकी है। हालात इतने बदतर हैं कि दिन के अधिकांश समय यहां पैदल चलना तक मुश्किल हो जाता है। स्टेशन से बाहर निकलते ही ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा और ठेले की बेतरतीब कतारें यात्रियों के रास्ते में दीवार बनकर खड़ी रहती हैं। जैसे ही कोई ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आती है, स्टेशन परिसर और निकास द्वार के बाहर अफरातफरी मच जाती है। बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चों के साथ यात्रा करने वाले यात्री सबसे ज्यादा परेशान नजर आते हैं।जाम की यह समस्या कोई नई नहीं है, बल्कि लंबे समय से चली आ रही है। हैरानी की बात यह है कि रेलवे पुलिस और स्थानीय पुलिस दोनों ही इस समस्या को एक-दूसरे के अधिकार क्षेत्र का मामला बताकर जिम्मेदारी से बचते दिख रहे हैं।

नतीजा यह है कि स्टेशन के मुख्य निकास पर अराजकता बदस्तूर जारी है और यात्रियों को रोजाना इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।स्थानीय लोगों और जानकारों का कहना है कि स्टेशन के मुख्य निकास द्वार के पास पूरे दिन ई-रिक्शा, ऑटो रिक्शा के साथ-साथ फल, भूजा और अन्य सामान बेचने वाले ठेला संचालकों का कब्जा रहता है। निर्धारित स्टैंड या पार्किंग व्यवस्था न होने के कारण वाहन चालक मनमाने ढंग से गाड़ियां खड़ी कर देते हैं। इससे सड़क की चौड़ाई और सिमट जाती है और थोड़ी सी भी भीड़ होने पर पूरा इलाका जाम में तब्दील हो जाता है।

इस जाम का सीधा असर रेल यात्रियों पर पड़ रहा है। कई बार यात्री समय पर स्टेशन नहीं पहुंच पाते और उनकी ट्रेन छूट जाती है। सबसे चिंताजनक स्थिति तब बनती है, जब यात्री बेतरतीब खड़े वाहनों को हटाने की बात करते हैं। आरोप है कि कई वाहन चालक उलझने लगते हैं और बहस के बाद मारपीट की नौबत तक आ जाती है। ऐसे में यात्री किसी तरह चुप रहकर निकल जाना ही बेहतर समझते हैं।उधर, डुमरांव स्टेशन का चयन अमृत भारत योजना के तहत सौंदर्यीकरण के लिए किया गया है, लेकिन यह योजना फिलहाल यात्रियों की परेशानी कम करने के बजाय बढ़ाती नजर आ रही है।

योजना के तहत नए निर्माण कार्य के लिए पंचमंदिर से स्टेशन की ओर जाने वाले मार्ग पर एक बड़ा गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है। इसके अलावा रेलवे द्वारा सड़क के एक किनारे नाले का निर्माण कराया गया है, जिससे पहले से ही संकरी सड़क और अधिक सिकुड़ गई है। ऐसे में जब दर्जनों ई-रिक्शा और ऑटो खड़े हो जाते हैं, तो जाम लगना तय हो जाता है।यह मार्ग केवल रेल यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि डुमरांव से नया भोजपुर, चक्की, डुमरी और ब्रह्मपुर की ओर जाने वाले वाहन चालकों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। दिनभर इस रास्ते से सैकड़ों वाहन गुजरते हैं, लेकिन स्टेशन के पास लगने वाले जाम के कारण सभी को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है।

सुबह और शाम के पिक आवर में स्थिति और भी भयावह हो जाती है, जब कुछ मिनटों की दूरी तय करने में आधे घंटे तक लग जाते हैं।स्थानीय नागरिकों की मांग है कि स्टेशन के मुख्य निकास द्वार के पास सख्ती से अतिक्रमण हटाया जाए, ई-रिक्शा और ऑटो के लिए अलग स्टैंड चिन्हित किया जाए और नियमित रूप से ट्रैफिक पुलिस की तैनाती हो। जब तक प्रशासन और रेलवे मिलकर ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक डुमरांव स्टेशन का यह जाम यात्रियों के लिए सिरदर्द बना रहेगा और अमृत भारत योजना का उद्देश्य अधूरा ही नजर आएगा।
