गर्व की बात है कि उस्ताद डुमरांव की धरती पर पैदा हुए - प्रभारी डीएम
गर्व की बात है कि भारत रत्न व शहनाई के शहंशाह का जन्म डुमरांव की धरती पर हुआ था। उन्होंने शहनाई जैसे मामूली वाद्य को शास्त्रीय संगीत से जोड़ उसे अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी थी।

- बिस्मिल्लाह खां महोत्सव में कलाकरों ने बांधा समा, कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आयोजित किया गया था समारोह
केटी न्यूज/डुमरांव
गर्व की बात है कि भारत रत्न व शहनाई के शहंशाह का जन्म डुमरांव की धरती पर हुआ था। उन्होंने शहनाई जैसे मामूली वाद्य को शास्त्रीय संगीत से जोड़ उसे अंतर्राष्ट्रीय पहचान दी थी।
उक्त बातें शुक्रवार की शाम बक्सर की प्रभारी जिलाधिकारी कुमारी अनुपम सिंह ने डुमरांव राज हाई स्कूल के मैदान में कही। अवसर था कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा आयोजित बिस्मिल्लाह खां महोत्सव का। इसके पूर्व प्रभारी डीएम कुमारी अनुपम के साथ ही एसडीएम राकेश कुमार, डीएसपी अफाक अख्तर अंसारी व उस्ताद के जीवन पर पुस्तक लिखने वाले साहित्यकार मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
प्रभारी डीएम ने कहा कि शहनाई को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था। प्रगति यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डुमरांव में संगीत महाविद्यालय खोलने की घोषणा की थी। यहां जल्दी ही 14 करोड़ 52 लाख की लागत से राज्य सरकार का पहला संगीत महाविद्यालया खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा शास्त्रीय संगीत की समृद्धता को प्रदर्शित करने तथा लोकगायिकी को बढ़ावा देने के लिए ही इस कार्यक्रम का आयोजन किया है।
महोत्सव में देर शाम तक गीत-संगीत के साथ शहनाई की सुरों का दौर चलता रहा। दूर-दराज से आये कई नामी-गिरामी कलाकरों के साथ स्थानीय कलाकर भी अपनी बेहतरीन प्रस्तुति देकर श्रोताओं का मन मोह लिया।
30 वर्ष बाद कमेंट को कंप्लीमेंट में बदलते देख रहा हूं - मुरली मनोहर श्रीवास्तव
वहीं, उस्ताद पर किताब लिखेन व डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले साहित्यकार सह पत्रकार मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने कहा कि 30 वर्षों के बाद मेरा कमेंट कप्लिमेंट में बदल रहा है। उन्होंने कहा कि उस्ताद के नाम पर संगीत महाविद्यालय खोलने की सबसे पहले मैने आज से 30 वर्ष पहले मांग की थी जो आज पूरा हो रहा है।
उन्होंने उस्ताद से अपनी नजदीकियों का जिक्र करते हुए कहा कि मैं जब उनपर किताब लिख रहा था तो प्रत्येक शनिवार को उनसे मिलने बनारस जाया करता था। इस दौरान वे मुझसे काफी आत्मीय लगाव रखते। उनके मन में डुमरांव रचा बसा था। मुरली ने कहा कि उनके धरोहरों को संजोकर रखने के लिए ही मैने उनके नाम पर विश्वविद्यालय खोलने की मांग की थी।
मंच से लोक गीत गायक अशोक पांडेय ने माई अचरवा में लुकववलु, घुघुआ खेलवलु, हमार बाबूजी हउवे किसान हो कि प्रस्तुति कर खूब वाहवाही लूटी। गायिका रागिनी भारती ने अपनी प्रस्तुति देकर लोगों का मन मोह लिया। स्थानीय कलाकारों में विनय मिश्रा, रितम एवं रूपम दुबे, कुसुम कुमारी, ऐश्वर्या मिश्रा, ब्रजेश चौबे, जीया केशरी आदि के प्रस्तुति पर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई। प्रयास मंच द्वारा बिस्मिल्लाह खां के जीवन पर आधारित नाटक की प्रस्तुति से उनकी यादें ताजा हो गयी।
गायक राजेश राज शानू के प्रस्तुति पर लोगों ने भरपूर ताली बजाई। वहीं गायिका श्यामा शैलजा झा, लोक गायक सत्येंद्र संगीत और संतूर वादक चंद्रशेखर शर्मा ने अपनी-अपनी प्रस्तुति दी। जिस पर श्रोता झूमते रहे। इस समारोह में बीडीओ संदीप पांडेय, सीओ शमन प्रकाश, ईओ मनीष कुमार, थानाध्यक्ष शंभू कुमार भगत, अरविंद प्रताप शाही उर्फ बंटी शाही, डॉ. शशांक शेखर, शत्रुघ्न प्रसाद गुप्ता, विनय दुबे सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।