कर्तव्यपथ की बलिवेदी पर चढ़ा केशोपुर का लाल, गॉर्ड ऑफ ऑनर दें हुई अंतिम विदाई

अनुमंडल का एक और जवान कर्तव्यपथ की बलिवेदी पर चढ़ गया है। शुक्रवार को केशोपुर स्थित हनुमान घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। छह वर्षीय पुत्र आयुष के मुखाग्नि देते ही गंगा घाट पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई।

कर्तव्यपथ की बलिवेदी पर चढ़ा केशोपुर का लाल, गॉर्ड ऑफ ऑनर दें हुई अंतिम विदाई

- भारतीय थन सेना का जवान था अशोक यादव, हृदय गति रूकने से हुई मौत, कारगिल युद्ध में पिता भी हुए थे शहीद

- केशोपुर के हनुमान घाट पर छह वर्षीय पुत्र ने दी मुखाग्नि, नम हुई आंखें

केटी न्यूज/डुमरांव 

अनुमंडल का एक और जवान कर्तव्यपथ की बलिवेदी पर चढ़ गया है। शुक्रवार को केशोपुर स्थित हनुमान घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। छह वर्षीय पुत्र आयुष के मुखाग्नि देते ही गंगा घाट पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई। इसके पहले परंपरा के अनुसार साथी जवानों ने उन्हें गॉर्ड ऑफ ऑनर दे अंतिम विदाई दी। जवान के पिता लक्ष्मी यादव भी भारतीय सेना में थे तथा 2002 के कारगिल युद्ध में उन्हें वीरगति मिली थी। पिता के बाद पुत्र के देश सेवा में प्राण न्योछावर की चर्चा इलाके में हो रही है। 

अचानक बिगड़ी तबीयत और चल बसा जवान...

जानकारी के अनुसार केशोपुर निवासी स्व. लक्ष्मी यादव के पुत्र अशोक कुमार यादव  2008 में भारतीय सेना में चयनित हुए थे। वर्तमान में उनकी पोस्टिंग चीन की सीमा से लगे अरूणाचल प्रदेश में थी। अभी 14 अक्टूबर को ही वे 40 दिन की छुट्टी पर गांव आए थे। गुरूवार की सुबह मॉर्निंग वाक के निकले जवान अशोक की अचानक तबीयत खराब हो गई। सीने में दर्द की शिकायत पर परिजन आनन-फानन में उन्हें बक्सर के एक निजी अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसकी जानकारी होते ही परिजनों में कोहराम मच गया। 

घटना के बाद से पत्नी उषा देवी, 12 वर्षीय बेटी अंशु कुमारी, पुत्र आयुष समेत पूरे परिवार को रो-रोकर बुरा हाल है। अशोक के छोटे भाई राजेश यादव भी सेना के जवान है। घटना के बाद से पूरा परिवार बदहवास है। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि अचानक क्या हो गया। 

वही अशोक की मौत से ग्रामीणों में भी मायूशी है। ग्रामीणों का कहना है कि वह काफी मिलनसार प्रवृति का था तथा जब भी गांव आता था तो सबसे काफी अपनापन से मिलता था। यही कारण है कि उसके अंतिम यात्रा में पूरा गांव उमड़ पड़ा था। जबकि घटना के बाद से ही मृतक के दरवाजे पर मातम पूर्सी करने वालों की भीड़ लगी रही।