नाबालिक से दुष्कर्म मामले के आरोपी को आजीवन कारावास

नाबालिक से दुष्कर्म मामले के आरोपी को आजीवन कारावास

-आरोपी पर 36,000 अर्थदंड पोक्सो एक्ट न्यायालय के न्यायाधीश रश्मि ने सुनाया फैसला

- पीड़िता के राहत और पुनर्वास के लिए 500000 राशि भुगतान करने का जिला विधिक सेवा प्राधिकार को दिया निर्देश

केटी न्यूज/ जहानाबाद 

अपनी पोती के समान नाबालिक से दुष्कर्म के दोषी करार विशुन देव सिंह को कोर्ट ने आजीवन कारावास की कोर्ट ने सजा सुनाई है। शुक्रवार को बचाव एवं अभियोजन पक्ष की ओर से सुनवाई  पूरा करने करने के उपरांत  अनन्य विशेष पॉकसो  न्यायालय के न्यायाधीश रश्मि की अदालत ने आरोपी विशुन देव सिंह को भादवी की धारा 376 एवं 376 ए बी में क्रमशः बीस बीस साल का कारावास और दस दस हजार रुपये अर्थ दंड भुगतान करने का फैसला सुनाया। न्यायालय ने आरोपी को पॉकसो की धारा 4 के तहत 10 साल का कठोर कारावास एवं पांच अर्थदंड  भुगतान करने का फैसला सुनाया। जबकि न्यायालय ने आरोपी विशुन देव सिंह को पॉकसो की धारा 6 के तहत बीस साल का कठोर कारावास एवं दस हजार  अर्थदंड तथा पॉकसो की धारा 8 के तहत 3 साल का कठोर कारावास और एक हज़ार रूपया  अर्थदंड भुगतान करने का फैसला सुनाया।

अर्थदंड की राशि का भुगतान नहीं करने पर अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। इतना ही नहीं न्यायालय ने पीङिता  के राहत एवं पुनर्वास के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार को पांच लाख़ रूपये  सहायता राशि उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है। उपरोक्त आशय की जानकारी पॉकसो  के विशेष लोक अभियोजक मुकेश नंदन वर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि इस मामले में पीड़िता के परिजन ने शकूराबाद थाना में विशुनदेव सिंह के खिलाफ नामजद प्राथमिकी  दर्ज कराया था। प्राथमिकी में सूचक ने आरोप लगाया था की 7 जुलाई 2022 को शाम के समय  मेरी  आठ साल की लड़की गांव में पुल के समिप खेल रही थी। उस समय विशुन देव सिंह आया और मेरी लड़की को जबरदस्ती पकड़ कर ले गया और

गलत कार्य किया। जब मेरी लड़की ने हल्ला किया तो हम और गांव की दादी दौड़ कर गई तो देखा की वह निर्वस्त्र है। इस मामले में एसपी के पर्यवेक्षण और निरीक्षण में घटना के 3 महीने के भीतर अनुसंधानकर्ता ने  विशुन देव सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इस मामले  में न्यायालय ने  महज 13 महीने के भीतर विचारण पूरा करने के उपरांत  आरोपी को सजा सुनाई। इस मामले में अभियोजन की तरफ से सूचक पीड़िता अनुसंधानकर्ता तथा चिकित्सक समेत आठ गवाहों की गवाही कराई गई थी तथा सात दस्तावेज को प्रदर्श भी अंकित कराया गया था।