डुमरांव के मरियालय महोत्सव: श्रद्धा, संगीत और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम
डुमरांव के पुराना भोजपुर के संत जोसफ स्कूल स्थित मरियालम परिसर गुरुवार की देर शाम से रविवार की रात तक आध्यात्मिक रोशनी और श्रद्धा से जगमगा उठा। धन्य कुँवारी मरियम के जन्मोत्सव को समर्पित चार दिवसीय मरियालय महोत्सव का शुभारंभ पटना धर्मप्रान्त के महामहिम आर्च बिशप सेबेस्टियन कल्लुपुरा ने किया। उन्होंने झंडोतोलन कर माला विनती और मिस्सा बलिदान कार्यक्रम के साथ आयोजन की औपचारिक शुरुआत की।

केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव के पुराना भोजपुर के संत जोसफ स्कूल स्थित मरियालम परिसर गुरुवार की देर शाम से रविवार की रात तक आध्यात्मिक रोशनी और श्रद्धा से जगमगा उठा। धन्य कुँवारी मरियम के जन्मोत्सव को समर्पित चार दिवसीय मरियालय महोत्सव का शुभारंभ पटना धर्मप्रान्त के महामहिम आर्च बिशप सेबेस्टियन कल्लुपुरा ने किया। उन्होंने झंडोतोलन कर माला विनती और मिस्सा बलिदान कार्यक्रम के साथ आयोजन की औपचारिक शुरुआत की।
शुरुआती दिन से ही महोत्सव में सैकड़ों श्रद्धालु जुटे और पूरा वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो उठा। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता फादर भास्कर ने की, जबकि फादर चार्ल्स, फादर प्रताप, फादर मनोज, फादर लुर्दू, डॉक्टर टेरेसिटा, सिस्टर शांति, सिस्टर बंदना सहित कई धर्मगुरु मौजूद रहे। इस दौरान भजनों और प्रार्थनाओं की गूंज से मरियालय प्रांगण आध्यात्मिक आलोक में डूब गया।
फादर भास्कर ने अपने संदेश में कहा कि “मां मरियम का जन्म मानवता के लिए आशा और ईश्वर की प्रेम भरी योजना की पूर्ति का प्रतीक है।” उन्होंने बताया कि विनम्र माता-पिता से जन्मी मरियम का जीवन इस बात का संदेश देता है कि ईश्वर महान कार्यों के लिए सामान्य व्यक्तियों को चुनते हैं।
गुरुवार से शुरू हुआ यह चार दिवसीय महोत्सव रविवार की देर रात तक जारी रहा और प्रतिदिन प्रार्थना, भक्ति-गीत तथा धार्मिक अनुष्ठानों से आयोजन स्थल गूंजता रहेगा। विशेष आकर्षण अंतिम दिन आयोजित स्तुति-आराधना एवं चंगाई प्रार्थना होगी, जिसमें देश-विदेश से आए श्रद्धालु शामिल होंगे। आयोजकों का कहना है कि यह अवसर सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज में शांति, सद्भाव और भाईचारे की मिसाल भी पेश करता है।
स्थानीय अनुयायियों ने भी आयोजन को लेकर हर्ष व्यक्त किया। उनका कहना है कि इस तरह के महोत्सव समाज में आपसी सहयोग और विश्वास की डोर को मजबूत करते हैं। आयोजन समिति ने क्षेत्रवासियों से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर महोत्सव को सफल बनाएं।
मरियालय परिसर में चारों ओर रौनक का माहौल है—भक्तिमय गीत, सजावट और अनुशासन से भरी श्रद्धालु भीड़ ने इसे उत्साह और श्रद्धा का अद्वितीय संगम बना दिया है। निस्संदेह, डुमरांव का यह महोत्सव सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था और एकता की ऐसी मिसाल है जो लंबे समय तक याद की जाएगी।