1885 में हुआ था नगर पंचायत का गठन, हाथ उठाकर चुने जाते थे चेयरमैन

1885 में हुआ था नगर पंचायत का गठन, हाथ उठाकर चुने जाते थे चेयरमैन

— पहली बार बांसडीह के चेयरमैन बने थे गोविंद प्रसाद सिंह 

केटी न्यूज /बलिया

निकाय चुनाव 2023 को लेकर जिला प्रशासन ने भले ही कमर कस ली हो, लेकिन सभी पार्टियों ने अभी तक पूर्ण रूप से प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। बलिया जिला के नगर पंचायत की जिक्र हो तो इतिहासकारों के अनुसार बांसडीह नगर पंचायत का गठन देश की आजादी से बहुत पहले 1885 में ही हो गया था। ऐसे में यहां अंग्रेज प्रशासक रहे, और उक्त नगर पंचायत का 1925 में पहला चुनाव हुआ था, जिसे नोटिफाइड एरिया का नाम दिया गया था। जिले में 2 नगर पालिका और 10 नगर पंचायतों के अपेक्षाकृत बांसडीह का इतिहास हमेशा से अलग रहा है। इतिहासकार बताते हैं कि बांसडीह नगर पंचायत जब अपना जनप्रतिनिधि देने लायक हुआ, तब 1925 के चुनाव के दौरान दो प्रत्याशी बाबू गोविंद प्रसाद सिंह एवं चंद्रशेखर प्रसाद सिंह चुनावी मैदान में उतरे थे। जिसमें गोविंद प्रसाद सिंह पहले चेयरमैन चुने गए। कार्यकाल की बात करें तो नगर पंचायत दो साल का ही होता था।

हाथ उठाकर चुने जाते थे चेयरमैन

बलिया। 1925 में नगर पंचायत बांसडीह का चुनावी तरीका बहुत आसान था। मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रत्याशी के साथ - साथ जनता आती थी। वहीं हाथ खड़ा कराकर जिसके पक्ष में ज्यादा हाथ लोगों का उठता था उन्हे चेयरमैन चुन लिया जाता था। 1925 का कार्यकाल पूरा होते ही 1927 में चेयरमैन का कार्यकाल दो वर्ष से बढ़ाकर कर तीन वर्ष का कर दिया गया। पुनः बाबू गोविंद प्रसाद सिंह व चंद्रशेखर प्रसाद सिंह के बीच में चुनाव हुआ उस दौरान पुनः बाबू गोविंद प्रसाद सिंह चुनाव जीतने के बाद चेयरमैन हुए । 1930 में गोविंद प्रसाद सिंह की मृत्यु हुई। चंद्रशेखर प्रसाद सिंह को निर्विरोध चैयरमैन चुन लिया गया। वजह कि उस समय गोविंद प्रसाद सिंह के परिवार से कोई खड़ा नहीं हुआ चंद्रशेखर प्रसाद सिंह का कार्यकाल 1933 तक चला।

1933 से बैलट पेपर से होने लगा चुनाव

बलिया। 1933 से हस्तनिर्मित बैलेट पेपर से चुनाव होने लगा। जिसमें 1933 से 1952 तक ठाकुर बैजनाथ सिंह चेयरमैन रहे। 1952 से 1961 तक वीर विक्रम सिंह उर्फ टुन जी चेयरमैन रहे। 1952 के बाद से चेयरमैन का कार्यकाल 5 साल का हो गया। 1961 में वीर विक्रम सिंह की मृत्यु के पश्चात फिर नगर पंचायत की जनता ने ठाकुर बैजनाथ सिंह को निर्विरोध अपना चेयरमैन चुन लिया वहीं 1967 में फिर ठाकुर बैजनाथ सिंह क्षेत्र के विधायक भी चुन लिए गये। बीच मे ही पद खाली होते ही नगर वार्ड कमेटी द्वारा चंद्रिका पांडेय को वाइस चेयरमैन चुना गया।

अब तक का इतिहास 

बलिया। 1971 में विजयपाल सिंह नगर के चेयरमैन बने और 1977 तक रहे उनका कार्यकाल 7 वर्ष का रहा क्योंकि 1975 में इमरजेंसी लागू होने के चलते चुनाव नहीं हो पाया इसलिए डेढ़ वर्ष कार्यकाल और बढ़ा दिया गया फिर सरकार ने पूरे प्रदेश में 17 वर्षों तक नगर पंचायतों का चुनाव नही कराया। उसके बाद फिर चुनाव शुरू हुआ और संजय कुमार सिंह मुन्ना चेयरमैन बने और 1994 फरवरी तक चेयरमैन रहे फिर 1 साल चुनाव नहीं हुआ और 1995 नवंबर में पुनः चुनाव हुआ जिसमें श्रीमती शकुंतला देवी महिला चेयरमैन बनी जिनका कार्यकाल 2000 तक रहा उसके बाद 2001 में स्वर्गीय नंदलाल सिंह चेयरमैन बने फिर 2006 में धीरेंद्र बहादुर सिंह चुन्ना चेयरमैन बने फिर 2011 में श्रीमती मनोरमा सिंह चेयरमैन बनी और चार महीने बाद उनकी मृत्यु हो गई । जिससे 2012 में उपचुनाव हुआ। जिसमे सुनील कुमार सिंह बब्लू चैयरमैन बने और 2017 तक रहे।निवर्तमान में रेणु सिंह चैयरमैन है।