चंदा में मिनी गन फैक्ट्री के उद्भेदन के बाद हतप्रभ है लोग, जांच में जुटी पुलिस
चंदा में मिनी गन फैक्ट्री के उद्भेदन के बाद स्थानीय लोग हतप्रभ है। इस घटना के उद्भेदन के बाद लोगों को जानकारी हो सकी कि उनके बगल में बक्सर को मुंगेर बनाने की कवायद चल रही थी और स्थानीय पुलिस बेखबर बनी रही।
- अवैध हथियार निर्माण व तस्करी के खेल में अन्य कई लोग हो सकते है शामिल
- स्थानीय पुलिस की भूमिका पर उठा सवाल, एसटीएफ के निशानदेही पर हुई थी छापेमारी
केटी न्यूज/बक्सर
चंदा में मिनी गन फैक्ट्री के उद्भेदन के बाद स्थानीय लोग हतप्रभ है। इस घटना के उद्भेदन के बाद लोगों को जानकारी हो सकी कि उनके बगल में बक्सर को मुंगेर बनाने की कवायद चल रही थी और स्थानीय पुलिस बेखबर बनी रही। भला हो एसटीएफ टीम का, जिनके इनपुट के आधार पर पुलिस ने छापेमारी कर इस मिनी गन फैक्ट्री का उद्भेदन किया है। वही, इस मामले का उद्भेदन होने के बाद से पुलिस काफी सक्रिय हो गई है
तथा अवैध हथियार निर्माण व तस्करी के खेल में शामिल लोगों की पड़ताल तथा उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार संवभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। बड़े पैमाने पर अवैध हथियार निर्माण की जानकारी मिलने के बाद से बक्सर पुलिस के होश उड़ गए है। वही, पुलिस के बाद अभी भी इस अवैध निर्माण के संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है कि आखिर चंदा में अवैध हथियार निर्माण का सिलसिला कब से चल रहा था तथा कितने असलहे का निर्माण हो चुका था और कौन-कौन लोग शामिल थे।
सीडीआर खंगाल रही है पुलिस
इस घटना के बाद स्थानीय पुलिस मामले में शामिल तस्करों की पहचान तथा उन्हें गिरफ्तार करने के लिए तकनीकी साधनों का इस्तेमाल कर रही है। डुमरांव डीएसपी अफाक अख्तर अंसारी की मानें तो पुलिस सीडीआर खंगाल रही है। जिसके आधार पर इस बात की जानकारी ली जाएगी कि इस खेल में कौन कौन लोग शामिल थे तथा कब से यह खेल चंदा में चल रहा था। डीएसपी ने कहा कि पूरी टीम को जल्दी ही गिरफ्तार किया जाएगा। वही, पुलिस सूत्रों की मानें तो इस मिनी गन फैक्ट्री के संचालन में कई अन्य लोगों के शामिल होने की जानकारी मिली है। जिनके खिलाफ पुख्ता सबूत इकट्ठा किए जा रहे है। पुलिस इस मामले की काफी बारीकी से मामले की जांच कर रही है। ताकी, घटना में शामिल लोग बच नहीं सकें।
मुंगेर की तर्ज पर हो रहा था अवैध असलहे का निर्माण
एनएच 922 के किनारे स्थित चंदा गांव में मुंगेर के तर्ज पर अवैध असलहे का निर्माण हो रहा था। वहां से पुलिस को भारी मात्रा में पिस्टल तथा अन्य हथियार के उपकरण मिले है। भारी मात्रा में हथियार बनाने के उपकरण देख पुलिस भी आश्चर्य में पड़ गई थी। सबकुछ वैसा ही था जैसे मुुंगेर निर्मित असलहों में देखने को मिलते है। मुख्य सड़क के किनारे स्थित इस घर को बाहर से देखने से ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि यहां इतने बड़े पैमाने पर हथियारों का निर्माण किया जा रहा है। बाहर के कमरे में मकान मालिक बिरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव अपना आसियाना बनाए थे, जबकि मकान के आखिरी छोर पर शेड लगा असलहा निर्माण के लिए भट्ठी तथा अन्य उपकरण लगाए गए थे। जानकारों का कहना है कि रात के अंधेरे में ही असलहों का निर्माण हो रहा था। स्थानीय लोगों का कहना है रात में उस जगह से आवाजे आती थी। लेकिन, तस्करों ने उन्हें बताया था कि यहां बाइक के पुर्जो का निर्माण होता है। जिस कारण लोगों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया था कि क्यों रात में उस मकान के पीछे से हथौड़ा चलने जैसी आवाजे आती थी।
स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर उठ रहा है सवाल
चंदा में मिनी गन फैक्ट्री के उद्भेदन के बाद से ही स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे है। बता दें कि यहां छापेमारी एसटीएफ से मिले इनपुट के आधार पर हुई थी। यहां लंबे समय से अवैध असलहों का निर्माण चल रहा था। जबकि स्थानीय पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी थी। जबकि चंदा गांव नया भोजपुर ओपी क्षेत्र का आखिरी गांव है। यहां के बाद औद्योगिक थाना का क्षेत्र शुरू हो जाता है। इस जगह पर हर दिन नया भोजपुर ओपी पुलिस की गश्ती वाहन जाती है। लेकिन, उन्हें भी इस बात की जानकारी नहीं हो सकी कि यहां इतने बड़े पैमाने पर हथियारों का निर्माण हो रहा है। इस घटना ने पुलिस के खुफिया तंत्र पर भी सवाल खड़े कर दिए है।
कही आगामी चुनाव दहशत फैलाने की तो नहीं हो रही थी साजिश
चंदा में अवैध असलहे का निर्माण कही आगामी विधान सभा चुनाव को दहलाने की साजिश के तहत तो नहीं किया जा रहा था। बता दें कि अगले साल ही बिहार बिधान सभा का चुनाव होने वाला था। इसको लेकर जहां राजनैतिक दलों तथा प्रशासन ने अंदरखाने तैयारियां शुरू कर दी थी तो दूसरी तरफ इस मिनी गन फैक्ट्री के उद्भेदन से यह सवाल लोगों के मन में कौंधने लगा है कि कही यहां निर्मित होने वाले हथियारों का उपयोग विधानसभा चुनाव में हिंसा फैलाने तथा इलाके को दहलाने के लिए तो नहीं हो रही थी। गौरतलब हो कि चुनाव के पहले लाइसेंसी हथियारों का सत्यापन करवाया जाता है। सत्यापन नहीं कराने वालों क हथियार जब्त भी किए जाते है। जबकि अपराधी अवैध असलहों से ही चुनाव में हिंसा फैलाने की साजिश करते है। पुलिस जब अपनी जांच को आगे बढ़ाएगी तो संभव है कि इस बिंदु पर भी जरूर जांच करेगी।
कहते है डीएसपी
चंदा में मिनी गन फैक्ट्री के उद्भेदन के बाद से पुलिस इस खेल में शामिल लोगों का पता लगा रही है। इसके लिए सीडीआर तथा अन्य तकनीकी साधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। तस्करों से पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर पुलिस आगे की रणनीति बना रही है तथा अन्य लोगों की गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है। - अफाक अख्तर अंसारी, डीएसपी, डुमरांव