ठोरी पांडेयपुर में श्रीरूद्र महायज्ञ के आयोजन की तैयारियां शुरू 27 नवंबर को निकलेगा शोभा जुलूस
- चल रहा है यज्ञ मंडप का निर्माण कार्य
- यज्ञ स्थल पर होगी व्यापक सुरक्षा व्यवस्था, ड्रोन कैमरे से होगी निगरानी
केटी न्यूज/डुमरांव
स्थानीय प्रखंड क्षेत्र के ठोरी पांडेयपुर गांव में नौ दिवसीय श्री रूद्र महायज्ञ का भव्य आयोजन होगा। इसके लिए महान संत श्रीमद् विश्वक्सेनाचार्य श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के मंगलानुशासन और नारायणाचार्य जी महाराज के तत्वावधान में आगामी 27 नवंबर को जलयात्रा सह भव्य शोभा जुलूस का आयोजन होगा। रुद्र महायज्ञ की तैयारी में यज्ञ स्थल पर भव्य यज्ञ मंडप और विभिन्न मार्गाें पर प्रवेश मार्ग का निर्माण कार्य चल रहा है। इसको लेकर पूरे गांव और इलाके में भक्तिरस की अविरल धारा प्रवाहित हो रही है। समिति के सदस्यों ने बताया कि यह धार्मिक अनुष्ठान छह दिसंबर तक चलेगा। जिसमें देश के कोने कोने से संत महात्मा और विद्वान प्रवचन कर्ताओं का आगमन हो रहा है। 27 नवंबर को जलयात्रा सह शोभा जुलूस के बाद 28 को वैदिक विधान से पंचांग पूजन, मंडप प्रवेश और अरणी मंथन आदि कार्यक्रम संपन्न होंगे। 28 नवंबर से छह दिसंबर तक नित्य भागवत पूजन, प्रवचन एवं भजन संध्या कार्यक्रम होगा। पांच दिसंबर को महायज्ञ की पूर्णाहुति और छह दिसंबर को ही वृहद भंडारे का भी आयोजन किया गया है।
स्थानीय लोगों में देखने को मिल रहा उत्साह
महायज्ञ के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। यहां सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे से निगरानी की व्यवस्था की गई है। इस महायज्ञ को लेकर स्थानीय लोगों में अदम्य उत्साह देखने को मिल रहा है। खासकर युवा वर्ग सुबह से शाम तक महायज्ञ स्थल पर अपनी सेवा दे रहे हैं। इस महायज्ञ के आयोजन के ठोरी पांडेयपुर गांव का माहौल भक्तिमय बन गया है। ग्रामीणों में उत्साह व्याप्त है। भागवत कथा वाचन व यज्ञ मंडप के निर्माण के माहौल भक्तिमय बन गया है। यहा महायज्ञ अभी से ही श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
भागवत कथा के श्रवण मात्र से जीवों का कल्याण संभव
ठोरी पांडेयपुर गांव में श्री रूद्र महायज्ञ के आयोजन को लेकर पधारे नारायणाचार्य जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से जीवों का कल्याण संभव नारायणाचार्य श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण मात्र से जीवों का कल्याण संभव है। जीव अपने माता के गर्भ में इस संकल्प के साथ स्वीकार करता है कि धरती पर जानें के बाद सर्वशक्तिमान परमात्मा को कभी नहीं भूलेगें। लेकिन इस सांसारिक माया में उलझकर अपने द्वारा किए गए एकरारनामा और संकल्प को भूल जाता है। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से जगत को जगदीश्वर की प्रतीति व अनुभूति का साधन बताया। संसार की सारी वस्तुएं अंत में यहीं छूट जाती है और केवल सत्कर्म, भजन अथवा धर्म ही साथ जाता है। किसी भी परिस्थिति में धर्म के पालन में प्रमाद नहीं करना चाहिए। धर्म के विभिन्न रूपों की व्याख्या करते हुए कुलधर्म, वर्णधर्म, आश्रम धर्म, दान धर्म, मोक्ष धर्म, स्त्री धर्म एवं भगवद्धर्म पर विस्तार से प्रकाश डाला।