करोड़ों की लागत से बन रही सड़कें बनीं मुसीबत, प्रशासन की लापरवाही से जाम में कराहते लोग

डुमरांव शहर में चल रहा करोड़ों की लागत का सड़क निर्माण जनता के लिए राहत नहीं बल्कि आफत बनकर सामने आया है। प्रशासन ने योजना तो बनाई कि निर्माण कार्य के दौरान वैकल्पिक रास्ते तैयार रहेंगे और ट्रैफिक डायवर्जन से शहर को जाम से निजात मिलेगी। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कागजों में बनी यह योजना धरी रह गई। नतीजा यह हुआ कि मंगलवार को पूरा शहर घंटों तक महाजाम की गिरफ्त में कराहता रहा।

करोड़ों की लागत से बन रही सड़कें बनीं मुसीबत, प्रशासन की लापरवाही से जाम में कराहते लोग

__ डायवर्जन प्लान हवा, वैकल्पिक मार्ग भी बंद; स्कूली बच्चों से लेकर मरीज तक फंसे संकट में

केटी न्यूज/डुमरांव

डुमरांव शहर में चल रहा करोड़ों की लागत का सड़क निर्माण जनता के लिए राहत नहीं बल्कि आफत बनकर सामने आया है। प्रशासन ने योजना तो बनाई कि निर्माण कार्य के दौरान वैकल्पिक रास्ते तैयार रहेंगे और ट्रैफिक डायवर्जन से शहर को जाम से निजात मिलेगी। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कागजों में बनी यह योजना धरी रह गई। नतीजा यह हुआ कि मंगलवार को पूरा शहर घंटों तक महाजाम की गिरफ्त में कराहता रहा।

शहर के बीचोंबीच पुराना भोजपुर से मां डुमरेजनी द्वार तक 1.30 करोड़ की लागत से सड़क चौड़ीकरण और निर्माण कार्य जारी है। अधिकारियों ने पखवाड़ेभर पहले बैठक कर यह भरोसा दिलाया था कि कोई भी वाहन शहर में प्रवेश नहीं करेगा। भारी वाहनों को बिहिया–जगदीशपुर होकर मलियाबाग की ओर और बसों को ढकाईच–कोरानसराय की ओर डायवर्ट करने की योजना बनी थी। छोटे वाहनों के लिए टेढ़की पुल–कृषि विश्वविद्यालय–अंबेडकर चौक का रास्ता तय किया गया था।

चार चेकपोस्ट बनाने और वहां पुलिस व दंडाधिकारी तैनात करने का भी ऐलान हुआ था। लेकिन जब काम शुरू हुआ तो न पुलिस दिखी, न चेकपोस्ट। डायवर्जन प्लान बैठक कक्ष से बाहर निकलते ही दम तोड़ गया और वाहन सीधे शहर की गलियों में घुसते रहे। खुदाई और निर्माण स्थल के बीच जाम का अंबार लग गया।

__ वैकल्पिक रास्ता भी बंद

समस्या यहीं खत्म नहीं हुई। मुख्य सड़क बंद होने के बाद लोग थाना से शक्ति द्वार होते हुए राजगढ़ चौक के रास्ते निकल रहे थे, लेकिन प्रशासन ने उस वैकल्पिक मार्ग पर भी पीसीसी सड़क का निर्माण शुरू कर दिया। यानी लोगों के लिए खुले अंतिम दरवाजे को भी बंद कर दिया गया। अब हालत यह है कि दो-दो सड़कों पर एकसाथ निर्माण कार्य चल रहा है और बाजार से मोहल्ले तक पहुंचना भी पहाड़ चढ़ने जैसा हो गया है।

__ आमजन से लेकर दुकानदार तक परेशान

जाम का सबसे बड़ा असर आम जनता पर पड़ा है। स्कूली बच्चों को समय पर स्कूल पहुंचाना मुश्किल हो गया है। मरीजों को अस्पताल तक ले जाने में लोग बुरी तरह जूझ रहे हैं। ई-रिक्शा और ऑटो जैसे छोटे वाहन जाम को और विकराल बना रहे हैं। वहीं, दुकानदारों का धंधा ठप पड़ने की कगार पर है। व्यापारी दीपक कुमार, धर्मेंद्र कुमार, राकेश और राजा गुप्ता कहते हैं कि ग्राहक बाजार तक आने से कतरा रहे हैं। जिनके पास जरूरी काम होता है वे भी जाम देखकर आधे रास्ते से ही लौट जाते हैं।

__ एक तीर से दो शिकार" की सोच

लोगों का कहना है कि प्रशासन ने शायद सोचा कि एक ही समय में दो सड़कों पर काम करके सड़क भी बना ली जाए और जनता को सब्र की परीक्षा भी दी जाए। लेकिन यह प्रयोग अब लोगों के गले की हड्डी बन गया है। सड़क निर्माण सुचारू नहीं हो रहा और न ही जनता को राहत मिल रही है।

__प्रशासन की चुप्पी, जनता का गुस्सा

डुमरांव शहर में फिलहाल सिर्फ ट्रक और ट्रेलरों पर ही रोक नजर आती है। ई-रिक्शा, ऑटो और चारपहिया गाड़ियां अब भी बिना रोकटोक शहर में घुस रही हैं, जिससे ट्रैफिक चरमराया हुआ है और निर्माण कार्य भी बाधित हो रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि करोड़ों की लागत से बनने वाली सड़क का लाभ तो भविष्य में मिलेगा, लेकिन फिलहाल जनता को राहत कौन देगा। क्या प्रशासन वाकई डायवर्जन योजना को धरातल पर उतारेगा। क्या चेकपोस्टों पर पुलिस की तैनाती होगी या यह सब महज कागजों तक ही सीमित रहेगा।

__ जनता को सब्र की परीक्षा मत दो

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सड़क निर्माण का फैसला लेते वक्त वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए थी। लेकिन यहां पहले सड़कें तोड़ दी गईं और बाद में डायवर्जन योजना को फाइलों में टांग दिया गया। लोगों का गुस्सा अब खुलकर सामने आ रहा है। उनका कहना है कि प्रशासन अगर तुरंत सख्ती से ट्रैफिक डायवर्जन लागू नहीं करता तो आने वाले दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं।