अनुमंडलीय अस्पताल की सफाई व्यवस्था पर बिफरे एसडीओ

अनुमंडलीय अस्पताल की व्यवस्था सुधारने में प्रशासन पूरी तरह से लग गया है। इसमें सुधार के लिए सप्ताह में छह दिन तीन अधिकारियों के जांच के लिए टीम डीएम अंशुल अग्रवाल ने बनाई है। सोमवार और मंगलवार को एसडीओ राकेश कुमार को जांच करने की जिम्मा सौंपा गया है।

अनुमंडलीय अस्पताल की सफाई व्यवस्था पर बिफरे एसडीओ

- चाईल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर का ओपीडी नहीं बनने पर डीएस की खिंचाई

- आपतकालीन कक्ष में नहीं बदला गया था बेड का चादर

केटी न्यूज/डुमरांव 

अनुमंडलीय अस्पताल की व्यवस्था सुधारने में प्रशासन पूरी तरह से लग गया है। इसमें सुधार के लिए सप्ताह में छह दिन तीन अधिकारियों के जांच के लिए टीम डीएम अंशुल अग्रवाल ने बनाई है। सोमवार और मंगलवार को एसडीओ राकेश कुमार को जांच करने की जिम्मा सौंपी गया है। पहले दिन एसडीओ जब जांच के पहुंचे तो कई खामियां उजागर हुई।

कई ऐसी खामियां थी, जिसे एसडीओ पहले भी जांच में सुधार करने के लिए आदेशित किया था, लेकिन उसे भी सही नहीं किये जाने पर काफी नाराजगी जताते हुए इसे 24 घंटे के अंदर सही करने का निर्देश दिया। एसडीओ ने पहले सभी ओपीडी में बैठे डॉक्टरों से बात करते हुए मरीजों से बात किया। उन्होंने मरीजों से पूछा कि कितने समय से कतार में खड़े हैं।

कोई एक घंटा बताया तो कोई दो घंटा बताया। इस पर एसडीओ ने कहा कि डॉक्टर जब समय से बैठेंगे तो मरीजों को दो घंटा कतार में खड़ा हो इंतजार नहीं करना पड़ेगा। फिर उन्होंने आपातकालीन सेवा वार्ड का निरीक्षण किया, जिसमें का बेड पर प्रयोग किया चादर बिछा हुआ था, इस पर सभी की क्लाश लगी और आदेशित किया गया कि अगलीबार ऐसी गलती होने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा। फिर उन्होंने एक्स-रे विभाग का जायजा लिया।

कताबद्ध मरीजों से बात कर फिर तकनीसियन से बात किया। उसे बताया की मरीज का एक्स-रे करने में विलंब नहीं करें। एक्स-रे के लिए इंतजार में खड़े लागों के बैठने के लिए अतिरिक्त कुर्सी लगाने के लिए कहा। वहां से निकल उन्होंने चाईल्ड ओपीडी का निरीक्षण किया जहां डाक्टर तो विरजामान थे, लेकिन उसी में बेड लगा हुआ था। इस पर डीएस की क्लास लगी। डीएस ने बताया की चिकित्सकों के विश्राम कक्ष को अलग शिफ्ट करते हुए चाईल्ड ओपीडी के लिए सुरक्षित किया जाए।

फिर उन्होंने शौचालय के टूटे दरवाजा को नहीं बदले जाने पर बिफरते हुए कहा कि इसे पहले ठीक करने के लिए कहा गया था, लेकिन नहीं किया गया है। अगलीबार ऐसी गलती दोबारा नहीं होने की बात कही। फिर डीएस कक्ष में बैठ हाजिरी पंजी को देखा और डीएस से जारी ली।

पहलीबार उन्होंने प्रसव कक्ष, प्रसव वार्ड का भी निरीक्षण किया जो दूसरी मंजिल पर है। वहां पर जाकर भर्ती महिलाओं से बात करते हुए जानकारी हासिल की। सभी से कहा कि आपलोग अस्पताल की व्यवस्था से संतुष्ट हैं तो अन्य लोगों भेजने का प्रयास करें ताकि उनको फ्री में सारी सुविधा मिल सके।