छह महीने से वेतन नहीं मिलने पर आर्थिक संकट से जूझ रहे है केसठ के सात शिक्षक

प्रखंड के सात शिक्षक इन दिनों घोर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बीते पांच से छह महीनों से वेतन भुगतान न होने के कारण हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि कुछ शिक्षकों के बच्चे स्कूल छोड़ घर बैठ गए हैं, तो किसी के घर फाइनंसर रोजाना तगादा करने पहुंच रहे हैं। यह संकट केसठ प्रखंड के उन शिक्षकों का है, जो सक्षमता एक और सक्षमता दो के तहत विशिष्ट शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।

छह महीने से वेतन नहीं मिलने पर आर्थिक संकट से जूझ रहे है केसठ के सात शिक्षक

-- विशिष्ठ शिक्षक बना अभिशाप, विभागीय लापरवाही से बढ़ी मुश्किलें

केटी न्यूज/केसठ

प्रखंड के सात शिक्षक इन दिनों घोर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बीते पांच से छह महीनों से वेतन भुगतान न होने के कारण हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि कुछ शिक्षकों के बच्चे स्कूल छोड़ घर बैठ गए हैं, तो किसी के घर फाइनंसर रोजाना तगादा करने पहुंच रहे हैं। यह संकट केसठ प्रखंड के उन शिक्षकों का है, जो सक्षमता एक और सक्षमता दो के तहत विशिष्ट शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। 

इन शिक्षकों में मुन्ना कुमार मध्य विद्यालय केसठ, सरोज कुमार मध्य विद्यालय केसठ, नाजीर हुसैन प्रा. वि. जमुवाटोला, अजय कुमार विक्रांत प्रा. वि. जमुवाटोला, राजू कुमार पाण्डेय कन्या प्रा. वि. बस स्टैंड केसठ, विद्यानंद सिंह मध्य विद्यालय रघुनाथपुर तथा पुष्पा कुमारी कन्या प्रा. वि. कतीकनार शामिल हैं।

शिक्षक मुन्ना कुमार ने बताया कि उनका पुत्र बाहर पढ़ाई करता है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से फीस न जमा कर पाने की वजह से उसे पढ़ाई छोड़कर घर लौटना पड़ा है। उन्होंने कहा, हम शिक्षक हैं, लेकिन खुद अपने बच्चे की पढ़ाई नहीं चला पा रहे  इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है।

वहीं शिक्षक नाजीर हुसैन ने रोते हुए कहा, बैंक से लोन लिया है, लेकिन किश्तें नहीं चुका पा रहा। फाइनंेसर रोज़ घर आकर अपमानित करते हैं। अन्य शिक्षकों ने भी कहा कि वे किसी तरह कर्ज लेकर या उधारी में घर चला रहे हैं। कई जगह से तो राशन भी उधार लेना पड़ रहा है। वहीं, विभागीय सूत्रों के अनुसार, एचआरएमएस पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ी के कारण शिक्षकों का वेतन फंसा हुआ है।

बावजूद इसके अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया है। शिक्षकों ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से जल्द से जल्द वेतन निर्गत करने की मांग की है, ताकि वे मानसिक, पारिवारिक और आर्थिक दबाव से बाहर आकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें।