सामाजिक कार्यकर्ता हरेकृष्ण यादव ने सीएस कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन की दी चेतावनी

फरवरी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन के पहले आनन-फानन में सदर अस्पताल में 10 बेड वाले आईसीयू को चालू करने का फरामन सीएस ने सुनाया था, लेकिन यह फरमान सिर्फ कागजों पर लागू हुआ है। धरातल पर आज भी सदर अस्पताल में आईसीयू की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में गंभीर सड़क दुर्घटना या क्रिटिकल कंडीशन में मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। हायर सेंटर ले जाने के दौरान कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते है।

सामाजिक कार्यकर्ता हरेकृष्ण यादव ने सीएस कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन की दी चेतावनी

-- सदर अस्पताल में 30 जून तक 10 बेड का आईसीयू शुरू नहीं हुआ तो होगा आमरण अनशन, सौंपा मांग पत्र

केटी न्यूज/बक्सर

फरवरी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन के पहले आनन-फानन में सदर अस्पताल में 10 बेड वाले आईसीयू को चालू करने का फरामन सीएस ने सुनाया था, लेकिन यह फरमान सिर्फ कागजों पर लागू हुआ है। धरातल पर आज भी सदर अस्पताल में आईसीयू की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में गंभीर सड़क दुर्घटना या क्रिटिकल कंडीशन में मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। हायर सेंटर ले जाने के दौरान कई मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते है। 

जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे जिले के डुमरांव अनुमंडल के नंदन गांव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता हरेकृष्ण यादव ने इसे गंभीर मामला मानते हुए अब इसके खिलाफ संघर्ष का ऐलान किया है। 

बुधवार को उन्होंने इस संबंध में बक्सर सीएस, स्वास्थ्य विभाग व बिहार सरकार के मुख्य सचिव को दे 30 जून तक सदर अस्पताल में 10 बेड वाला आईसीयू चालू करने की मांग की है तथा कहा है कि यदि 30 जून तक सदर अस्पताल में आईसीयू की सुविधा शुरू नहीं होती है तो वे एक जुलाई को डॉक्टर्स डे के दिन सीएस कार्यालय के समक्ष आमरण अनशन पर बैठेंगे। उनके इस निर्णय के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया  है। सीएस से लेकर अन्य चिकित्सकों की मुकिश्लें बढ़ गई है। 

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन के पूर्व सदर अस्पताल में आईसीयू तथा अल्ट्रासाउंड की शुरूआत कागजों में शुरू कर दिया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री के जाते ही अल्ट्रासांउड कक्ष में ताला लटक गया था। जिसके खिलाफ हरेकृष्ण ने आवाज उठाया था। जिसके बाद सीएस ने न सिर्फ आश्वासन दिया था बल्कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा अल्ट्रा साउंड शुरू करने की चिट्ठी भी जारी कर दी गई थी, जिसके बाद हरेकृष्ण ने अपने प्रस्तावित आंदोलन को वापस ले लिया था।

लेकिन, अब एक बार फिर से वे आईसीयू के मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी दे स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। केशव टाइम्स से बातचीत के दौरान हरेकृष्ण ने बताया कि सदर अस्पताल में आईसीयू की व्यवस्था नहीं होने से अक्सर क्रिटिकल कंडीशन के मरीजों की जान चली जा रही है। उन्होंने कहा कि 30 जून तक यदि यह व्यवस्था शुरू नहीं होगी तो वे आमरण अनशन पर बैठेंगे।