शिक्षक ने दिखाई मानवता, दुर्लभ हिरण के बच्चे को बचा वन विभाग को सौंपा
प्रखंड के रघुनाथपुर निवासी तथा चौगाईं प्रखंड के उच्च विद्यालय ओझा बरांव के शिक्षक धीरज कुमार ने दुर्लभ जीवों की श्रेणी में शामिल हिरण के एक शावक को कुत्तों के झंुड से बचा मानवता की मिशाल पेश की है।

-- कुत्तों के झूंड से घिर गया था नन्हा शावक, नावानगर नगर स्थित रेस्क्यू सेंटर लेकर गए वन विभाग के अधिकारी
केटी न्यूज/ब्रह्मपुर
प्रखंड के रघुनाथपुर निवासी तथा चौगाईं प्रखंड के उच्च विद्यालय ओझा बरांव के शिक्षक धीरज कुमार ने दुर्लभ जीवों की श्रेणी में शामिल हिरण के एक शावक को कुत्तों के झंुड से बचा मानवता की मिशाल पेश की है।
बाद में उक्त शावक को उन्होंने ब्रह्मपुर से वन उप परिसर पदाधिकारी विपीन कुमार को सौंप दिया। वे उसे लेकर नावानगर स्थित हिरणों के लिए बनाए गए रेस्क्यू सेंटर में ले जाकर उसे सुरक्षित छोड़े। हिरण के बच्चें को बचाने के लिए वन विभाग ने शिक्षक की तारीफ की है तथा कहा है कि दुर्लभ जीवों का संरक्षण सभी नागरिक का कर्तव्य है।
मिली जानकारी के अनुसार शिक्षक धीरज कुमार शाम में टहलते हुए बधार की तरफ गए थे। अंधेरा होने के करीब उन्होंने देखा कि एक जगह कीचड़ में हिरण का एक छोटा बच्चा फंस गया है तथा कुत्तें उसे नोचनें को आतुर है। उन्होंने बिना देर किए कुत्तों को वहां से भगा हिरण के बच्चें को गोद में उठा अपने घर लाए तथा वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क स्थापित करने का प्रयास किए। लेकिन रात में संपर्क नहीं हो पाया इसके बाद वे उस मृग शावक को अपने हाथों दूध पिला उसे पूरी रात अपने पास ही सुरक्षित रखे।
सुबह में जब उनकी बात रेंजर से हुई तो रेंजर ने ही ब्रह्मपुर के वन उप परिसर पदाधिकारी को भेज हिरण के बच्चें का रेस्क्यू करवा उसे अभ्यारण में छुड़वाया। धीरज का कहना है कि हमे सभी जीवो के प्रति दया दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि धरती को सुंदर बनाने में इंसान के साथ ही जीव जंतुओं का बड़ा योगदान है। हमे जैव विविधता को बचाए रखने मंे सहयोग करना चाहिए।
धीरज के इस प्रयास से न सिर्फ दुर्लभ प्रजाति के एक शावक की जान बची बल्कि लोगों को भी एक संदेश दिया है कि पशु-पक्षियों को सुरक्षित रखना हमारा दायित्व है।