ब्रह्मपुर सीएचसी में अव्यवस्था की पोल खुली, मरीज को घंटों बिना उपचार भटकना पड़ा

ब्रह्मपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर चल रही खानापूर्ति एक बार फिर सामने आ गई, जब मंगलवार को नैनीजोर ग्राम की यशोदा देवी को गंभीर अवस्था में लाने के बावजूद अस्पताल उनकी जीवनरक्षक जरूरतें भी पूरी नहीं कर सका। यह घटना केवल एक मरीज की परेशानी नहीं, बल्कि व्यवस्था की उस जड़ता का चित्रण है, जिसने ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्वास्थ्य तंत्र पर भरोसा डगमगा दिया है।

ब्रह्मपुर सीएचसी में अव्यवस्था की पोल खुली, मरीज को घंटों बिना उपचार भटकना पड़ा

केटी न्यूज/ब्रह्मपुर

ब्रह्मपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर चल रही खानापूर्ति एक बार फिर सामने आ गई, जब मंगलवार को नैनीजोर ग्राम की यशोदा देवी को गंभीर अवस्था में लाने के बावजूद अस्पताल उनकी जीवनरक्षक जरूरतें भी पूरी नहीं कर सका। यह घटना केवल एक मरीज की परेशानी नहीं, बल्कि व्यवस्था की उस जड़ता का चित्रण है, जिसने ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्वास्थ्य तंत्र पर भरोसा डगमगा दिया है।

जानकारी के अनुसार, यशोदा देवी को सांस लेने में तेज दिक्कत होने पर परिजन उन्हें शाम 4 बजे अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन अस्पताल में बिजली बाधित रहने, जनरेटर के खराब होने और ऑक्सीजन सिलेंडरों के खाली पड़े रहने जैसी बुनियादी कमी के चलते उनका उपचार शुरू ही नहीं हो पाया। लगभग एक घंटे तक मरीज स्ट्रेचर पर इंतज़ार करती रहीं, जबकि परिजन डॉक्टरों से मदद की गुहार लगाते रहे।

ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सकों ने स्पष्ट कहा कि उपलब्ध संसाधन शून्य हैं, इसलिए वे तत्काल उपचार शुरू करने में असमर्थ हैं। स्थिति बिगड़ते देख मरीज को रेफर करने का निर्णय लिया गया, लेकिन दुर्भाग्य यहीं खत्म नहीं हुआ—रेफरल के बाद भी एंबुलेंस करीब एक घंटे देर से पहुंची। इस दौरान परिजन और अन्य मरीज अस्पताल परिसर में जमकर आक्रोश जताते रहे और स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए।

घटना की जानकारी बुधवार सुबह सिविल सर्जन डॉ. शिव प्रसाद चक्रवर्ती तक पहुंची। उन्होंने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए कहा कि अस्पताल प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा गया है। साथ ही एक जांच टीम गठित कर दी गई है, जो अव्यवस्था और जिम्मेदार कर्मचारियों की भूमिका की जांच करेगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषियों पर कठोर कार्रवाई होगी।यह घटना ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था की असलियत एक बार फिर उजागर करती है, जहां सुविधाओं की कमी कभी-कभी मरीजों की जिंदगी तक दांव पर लगा देती है।