कर्तव्यपथ की बलि वेदी पर चढ़ गया नाजिरगंज का लाल, तिरंगे में लिपटा आया शव, मिली शहादत

अनुमंडल का एक और लाल देश सेवा की बलिवेदी पर खुद को न्योछावर कर गया है। बुधवार की देर शाम साथी जवानों ने स्पेशल एंबुलेंस से शहीद जवान का शव पैतृक गांव कोरानसराय थाना क्षेत्र के नाजिरगंज गांव लाया गया, जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए न सिर्फ पूरा गांव बल्कि आस पास के गांव के लोग भी उमड़ पड़े थे।

कर्तव्यपथ की बलि वेदी पर चढ़ गया नाजिरगंज का लाल, तिरंगे में लिपटा आया शव, मिली शहादत

- आसाम के तिनसुकिया में नक्सलियों से मुठभेड़ के दौैरान मिली शहादत, आसाम रायफल्स में हवलदार के पद पर तैनात थे मिथिलेश सिंह

- देर शाम पैतृक गांव लाया गया शव, अंतिम दर्शन करने वालों की उमड़ी भीड़

केटी न्यूज/डुमरांव

अनुमंडल का एक और लाल देश सेवा की बलिवेदी पर खुद को न्योछावर कर गया है। बुधवार की देर शाम साथी जवानों ने स्पेशल एंबुलेंस से शहीद जवान का शव पैतृक गांव कोरानसराय थाना क्षेत्र के नाजिरगंज गांव लाया गया, जहां उनके अंतिम दर्शन के लिए न सिर्फ पूरा गांव बल्कि आस पास के गांव के लोग भी उमड़ पड़े थे। 

शहीद जवान मिथिलेश सिंह उम्र 40 वर्ष पिता मुन्ना सिंह आसामा रायफल्स में हवलदार के पद पर तैनात थे तथा उनकी पोस्टिंग आसाम के तिनसुकिया में थी। जहां, मंगलवार की सुबह नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान उन्हें वीरगति मिली है। उनके साथ 2-3 अन्य जवान भी शहीद हुए है। 

इसकी जानकारी मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। पिता मुन्ना सिंह, माता कमला देवी, पत्नी उर्मिला देवी, बड़े पुत्र रंजन, छोटे पुत्र प्रिंस कुमार व बेटी अंशु कुमारी के साथ ही उनके भाईयों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। मंगलवार से ही स्वजन उनके अंतिम दर्शन के लिए पथरायी आंखों से इंतजार कर रहे थे।

इस दौरान दरवाजे पर नाते रिश्तेदारों व ग्रामीणों की भीड़ भी जुटी रही। लोग उनके वीरता भरी शहादत को याद दिला ढांढस बंधा रहे थे, लेकिन ढांढस का एक भी मरहम दो दिन से उनके आंसुओं के सैलाब को नहीं रोक सका। आलम यह था कि स्वजनों को ढांढास बंधाने वाले खुद रो पड़ रहे थे।

वहीं, जैसे ही सेना के साथी जवानों द्वारा शव को पैतृक घर लाया गया वीर मिथिलेश के नारे से माहौल गूंज उठा। साथी जवानों ने बताया कि मिथिलेश ने मुठभेड़ के दौरान काफी वीरता दिखाई थी। उनकी वीरता के कारण ही कई जवानों की जान बच गई। 

2001 में हुआ था चयन

शहीद जवान के चाचा उपेन्द्र सिंह ने बताया कि मिथिलेश बचपन से ही साहसी था। उसके अंदर देश सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी थी। अपनी मेहनत के बल पर वह वर्ष 2001 में आसाम रायफल्स में सिपाही के पद पर चयनित हुआ था तथा वर्तमान में हवलदार के रैंक पर पहुंच गया था। वह काफी मिलनसार भी था जब भी गांव आता था तो सबसे मिलजुलकर रहता था।

उपेन्द्र ने बताया कि अभी पिछले महीने ही वह छुट्टी पर गांव आया था। इस दौरान उसने बताया था कि आसाम में हालत बहुत खराब हो गए है तथा मैतेई व कुकी के विवाद में पूरे आसाम में हिंसा भड़कते रहती है। उपेन्द्र ने बताया कि पूरे गांव को उसकी वीरता व शहादत पर गर्व है। वहीं, परिवार के अन्य सदस्यों को भले ही उनकी मौत से गहरा सदमा पहुंचा है, लेकिन इस बात का फक्र जरूर है

कि उनका बेटा देश सेवा की बलिवेदी पर चढ़ पूरे गांव को गौरवान्वित कर गया है। समाचार लिखे जाने तक स्वजनों द्वारा अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी। जानकारी के अनुसार शव के साथ आए सेना के जवानों द्वारा उनके सम्मान में गॉर्ड ऑफ ऑनर भी दिया जाएगा। मिथिलेश की शहादत की चर्चा कोरानसराय तथा उसके आस पास के इलाके में हो रही है।