भूमि विवाद को बढ़ाने में सहायक है अंचल कार्यालय का भ्रष्टाचार एवं माफियाओं से सांठगांठ

भूमि विवाद को बढ़ाने में सहायक है अंचल कार्यालय का भ्रष्टाचार एवं माफियाओं से सांठगांठ

रजिस्टर टू की गड़बड़ी है शहरी क्षेत्र में कई जगहों पर विवाद का कारण
केटी न्यूज / डुमरांव
यह कहना बहुत आश्चर्य नहीं होगा कि अंचल कार्यालय भू माफियाओं के इशारे पर चलता है। जमीन का महत्वपूर्ण रिकॉर्ड रजिस्टर टू है। रजिस्टर टू की स्थिति ऐसी है कि एक जमीन पर दो दो लोगों का मालिकाना अधिकार और दोनों के नाम से हुए दाखिल खारिज के चलते विवाद जन्म लेता है। एक ही जमीन कई लोगों को और कई लोगों के द्वारा खरीद बिक्री की जाती है। फिर शुरू होता है उस जमीन पर दखल कब्जा का जंग। इसके लिए जरूरी होते हैं अपराधी चरित्र के लोग। शहर में सक्रिय अपराधी एवं उनके करीबी लोग ऐसे विवाद और जमीन की तलाश करते रहते हैं। चुकी ऐसे लोगों का सीधा संपर्क पुलिस प्रशासन के अलावे अंचल कार्यालय में होता है। इसका लाभ उठाते हुए अब तक कई लोग मालामाल हो चुके हैं। नगर के हरनहीं में जमीन के एक बड़े भू भाग पर अंचल कार्यालय द्वारा मोटी रकम लेकर दो  लोगों के नाम किए गए दाखिल खारिज का मामला शहर का हर कोई को बखूबी मालूम है। अब इस बड़े भू भाग पर कब्जा जमाने की एक्सरसाइज शहर के अपराधी गिरोह द्वारा की जा रही है। हालांकि अंचल कार्यालय का कहना है कि इस जमीन का एक पक्ष को हुए दाखिल खारिज को रद्द करने के लिए एडीएम के यहां कार्रवाई चल रही है। सीलिंग एक्ट में फंसी राजघराने के 66 एकड़ जमीन की जांच में अंचल अमीन द्वारा दिया गया प्रतिवेदन विवाद के कारणों मे महत्वपूर्ण है। ज्ञात हो कि जिस जमीन पर दर्जनों की संख्या में मकान बन चुके हैं उस जमीन का स्थल निरीक्षण कर दिए गए प्रतिवेदन मैं अंचल अमीन ने जमीन का स्वरूप परती व खेत खलिहान बताकर साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार के आगे सरकार के निर्देश का कोई मतलब नहीं है। यह पहला मामला नहीं है जिसमें एक ही जमीन को 2 लोगों के नाम दाखिल खारिज किया गया है। अंचल कार्यालय द्वारा किए गए विभिन्न जमीनों के दाखिल खारिज के खिलाफ किए गए डीसीएलआर के यहां अपील इस बात का गवाही दे रहे हैं कि भूमि मामले में अंचल कार्यालय का दामन पाक साफ नहीं है। 
राजस्व कर्मचारी करते हैं जमाबंदी में मनमानी : रजिस्टर टू की गड़बड़ी मैं जमीन की जमाबंदी से है। जमीन की रजिस्ट्री के बाद होने वाले दाखिल खारिज में कर्मचारी एक पक्ष का दाखिल तो करते हैं। लेकिन विक्रेता के जमाबंदी को रजिस्टर टू में घटाते नहीं है। नतीजा बिक्री के बाद भी जमीन बेचने वाले का जमाबंदी ज्यों का त्यों होता है। वह इसका नजायज लाभ उठाकर बिक्री रफ्तार को जारी रखते हैं। शहर में एक परिवार द्वारा एक ही जमीन को कई लोगों के बीच बेचने का का मामला इसी चलते सुर्खियों में रहा है।