अनजाने में की गई पूजा का शिकारी को ऐसे मिला फल

हिंदू धर्म में सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व बताया है। इस दौरान भगवान शिव की आराधना करना उत्तम फलदायी माना जाता है।

अनजाने में की गई पूजा का शिकारी को ऐसे मिला फल
Sawan

केटी न्यूज़/दिल्ली

हिंदू धर्म में सावन शिवरात्रि का विशेष महत्व बताया है। इस दौरान भगवान शिव की आराधना करना उत्तम फलदायी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है। अगर इस माह में भोलेबाबा की आराधना विधिवत रूप से करें, तो व्यक्ति को उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है।इसके साथ ही सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है। सावन शिवरात्रि का पर्व बेहद पावन माना जाता है। इसलिए पूजा के दौरान नियमों का पालन विशेष रूप से करें। अब ऐसे में जो जातक सावन शिवरात्रि में व्रत रख रहे हैं, वह व्रत कथा अवश्य सुने व पढ़ें। बिना व्रत कथा के पूजा अधूरी मानी जाती है। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,  चित्रभानु नाम का एक शिकारी था जो जंगल में जानवारों का शिकार करके अपना घर चलाता था। शिकारी के पर साहूकार का कर्ज था, लेकिन कर्ज न चुका सकने के कारण साहुकार क्रोधित हो गया और उसने उसको बंदी बना लिया था। जिस दिन साहूकार ने उसे बंदी बनाया वह शिवरात्रि का दिन था। बंदी रहते हुए शिकारी शिव धार्मिक बातें सुनता रहा। वहीं उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी। शिकारी का पूरा दिन ऐसे ही गुजरने लगा। शाम को साहूकार ने चित्रभानु को एक दिन का समय दिया कर्ज चुकाने के लिए और उसे छोड़ दिया।कर्ज चुकाने के लिए चित्रभानु पूरे दिन बिना खाए और बिना पिए जंगल में शिकार ढंढते हुए बिता दिया। ऐसे ही शाम निकल गई। इसके बाद वो रात बीतने के इंतजार में बेल के पेड़ पर चढ़ गया। इसी पेड़ के नीचे शिवलिंग बना था। बिना जाने शिकारी बेलपत्र तोड़कर नीचे की तरफ गिरा रहा था जो कि संयोगवश शिवलिंग पर गिर रहे थे। इससे उसका व्रत पूरा हो गया। शिकार की तलाश घूमते हुए चित्रभानु को तालाब के किनारे एक गर्भिणी हिरणी दिखाई दी जो पानी पीने के लिए आई थी। उसका शिकार करने के लिए उसने धनुष-बाण निकाला। उस हिरणी ने चित्रभानु का देख लिया। इस पर उसने शिकारी से कहा कि उसके प्रसव का समय है। तुम दो जीव की हत्या करोगे। यह ठीक नहीं है। तभी हिरणी ने शिकारी से वादा किया जब उसका बच्चा इस दुनिया में आ जाएगा तब वो खुद आएगी। तब वह उसका शिकार कर सकता है। लेकिन अभी उसे जाने दो। शिकारी ने उसकी बात मान ली और जाने दिया। इसके बाद प्रत्यंचा चढ़ाने और ढीली करते समय शिवलिंग पर कुछ और बेलपत्र गिर गए। ऐसे में चित्रभानु से अनजाने में शिव की प्रथम पहर की पूजा भी संपन्न हो गई।

वहीं कुछ देर बाद शिकारी को एक और हिरणी दिखी। उसे देखकर शिकारी बहुत खुश हुआ और शिकार करने के लिए तैयार भी हो गया। हिरणी ने उससे प्रार्थना किया कि मैं अपने प्रिय को ढूंढ रही हूं। मैं एक कामातुर विरहिणी हूं। जैसे ही मुझे मेरा पति मिल जाएगा वैसे ही मैं आ जाऊंगी। रात का आखिरी पहर बीतने ही वाला था। इस बार भी चित्रभानु से बेलपत्र टूटकर शिवलिंग पर गिर गए। इससे उसके पहर की पूजा भी हो गई।

पूरी रात इंतजार करने के बाद सुबह शिकारी को एक हिरण दिखाई दिया। उसने निश्चय किया कि वो उसका शिकार जरूर करेगा। शिकारी ने प्रत्यंचा चढ़ाई। इस पर हिरण ने कहा कि अगर उससे पहले आई तीन हिरणियों और उनके बच्चों का शिकार उसने किया हो तो उसका भी शिकार कर ले जिससे उसे उनके वियोग में दुखी न होना पड़े। लेकिन अगर जीवनदान दिया है तो उसे भी छोड़ दो। जब वो उन सभी से मिले लेगा तो वो आ जाएगा। यह सुनकर शिकारी ने उस हिरण को रातभर का घटना बताया। तब हिरण ने कहा कि वो तीनों हिरणियां उसी की पत्नी है। हिरण ने शिकारी से कहा कि जिस तरह तीनों हिरणियां यहां से गई। अगर उनकी मृत्यु हो जाती है, तो वो धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। हिरण ने कहा कि जिस तरह उसने विश्वास कर हिरणियों को जाने दिया उसी तरह से उसे भी जाने दे।वह जल्दी ही पूरे परिवार के साथ शिकारी के सामने आ जाएगा।

पूरी घटना के शिकारी ने जाने-अनजाने में ही सही सही व्रत, रात्रि-जागरण और शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हृदय अब निर्मल हो गया था। उसके हाथ से धनुष छूट गया और उसने मृग को जाने दिया।

थोड़ी देर में वह मृग सपरिवार शिकारी के सामने आया। लेकिन जंगली पशुओं की प्रेम भावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि महसूस हुई। उसने मृग परिवार को जाने दिया और अपने कठोर हृदय को जीव हिंसा से हमेशा के लिए हटा दिया। शिकारी के ऐसा करने पर भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे अपने दर्शन दिए और उसे सुख-समृद्धि का वरदान देकर गुह नाम प्रदान किया।

चारों पहर भूखा-प्यासा रहते हुए और अंजाने में भगवान की पूजा करके गुरुद्रुह के सभी पाप धुल गए। तब भगवान शिव ने प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि त्रेतायुग में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम उसके घर पधारेंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति मिलेगी। इस प्रकार अनजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया।