बक्सर में नाला निर्माण के दौरान तीन मकान जमींदोज, चार मवेशियों की मौत, प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल

बक्सर नगर परिषद क्षेत्र के अहिरौली वार्ड संख्या 38 में नाला निर्माण के नाम पर हो रहे कार्य ने सोमवार को भयावह रूप ले लिया। विकास के दावे उस वक्त खोखले साबित हो गए, जब निर्माण के दौरान अचानक तीन कच्चे-पक्के मकान भरभरा कर गिर पड़े। इस हादसे में किसी व्यक्ति के हताहत होने की खबर तो नहीं है, लेकिन चार मवेशियों की मौत हो गई, जबकि कई जिंदगियां बाल-बाल बच गई। घटना के बाद पूरे मोहल्ले में अफरा-तफरी मच गई और लोग दहशत में आ गए।

बक्सर में नाला निर्माण के दौरान तीन मकान जमींदोज, चार मवेशियों की मौत, प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल

-- नगर परिषद प्रशासन पर लग रहा है लापरवाही का आरोप, वार्ड 38 स्थित अहिरौली की है घटनफोटो -

केटी न्यूज/बक्सर

बक्सर नगर परिषद क्षेत्र के अहिरौली वार्ड संख्या 38 में नाला निर्माण के नाम पर हो रहे कार्य ने सोमवार को भयावह रूप ले लिया। विकास के दावे उस वक्त खोखले साबित हो गए, जब निर्माण के दौरान अचानक तीन कच्चे-पक्के मकान भरभरा कर गिर पड़े। इस हादसे में किसी व्यक्ति के हताहत होने की खबर तो नहीं है, लेकिन चार मवेशियों की मौत हो गई, जबकि कई जिंदगियां बाल-बाल बच गई। घटना के बाद पूरे मोहल्ले में अफरा-तफरी मच गई और लोग दहशत में आ गए।

-- खुदाई ने उजाड़ दिए आशियाने

स्थानीय लोगों के अनुसार नगर परिषद द्वारा वार्ड में नाली निर्माण कराया जा रहा है। इसी क्रम में भारी-भरकम पोकलेन मशीन से गहराई तक खुदाई की जा रही थी। मशीन की तेज कंपन और बिना किसी तकनीकी सुरक्षा के किए जा रहे कार्य से आसपास के मकानों की नींव कमजोर हो गई। देखते ही देखते तीन घर ताश के पत्तों की तरह ढह गए। चंद सेकंड में वर्षों की मेहनत और सपनों से बने घर मलबे में तब्दील हो गए। जबकि, कई अन्य घरों को भी नुकसान पहुंचा है।

-- संयोग से टला बड़ा हादसा 

घटना के समय मकानों के भीतर कोई मौजूद नहीं था, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि दिन का कोई और समय होता, तो कई जिंदगियां मलबे में दब सकती थीं। हालांकि घरों में बंधे चार मवेशी इस हादसे का शिकार हो गए। मवेशियों की मौत ने पीड़ित परिवारों की आर्थिक कमर तोड़ दी है, क्योंकि यही पशु उनके रोज़गार और जीविका का सहारा थे।

-- दरारों से दहशत, लोग घर छोड़ने को मजबूर

हादसे के बाद आसपास के कई अन्य मकानों में भी गहरी दरारें दिखाई देने लगी हैं। इससे इलाके में भय का माहौल है। कई परिवार रात होने से पहले ही अपने घर छोड़कर रिश्तेदारों या खुले स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं। लोगों का कहना है कि उन्हें डर है कि अगला नंबर उनके घर का न हो।

-- बिना मापदंड, बिना निगरानी चल रहा काम

स्थानीय निवासियों ने नगर परिषद पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि निर्माण कार्य में न तो तकनीकी मानकों का पालन किया जा रहा है और न ही सुरक्षा उपायों का। न कोई चेतावनी बोर्ड, न बैरिकेडिंग और न ही आसपास के मकानों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम किया गया। भारी मशीनों का उपयोग घनी आबादी वाले इलाके में लापरवाही से किया जा रहा है, जिसका नतीजा आज सबके सामने है।

-- पीड़ितों ने की प्रशासन से मुआवजे और कार्रवाई की मांग

पीड़ित परिवारों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि क्षतिग्रस्त मकानों का निष्पक्ष आकलन कर उचित मुआवजा दिया जाए और मवेशियों की मौत का भी मुआवजा सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, आगे निर्माण कार्य शुरू करने से पहले सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं, ताकि दोबारा ऐसी घटना न हो।

-- नगर परिषद ने दिया जांच का आश्वासन

मामले पर नगर परिषद की ओर से जांच कर आवश्यक कार्रवाई किए जाने की बात कही जा रही है। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि केवल आश्वासन से उनका डर और नुकसान कम नहीं होगा। अब देखना यह है कि प्रशासन इस घटना को महज एक “दुर्घटना” मानकर छोड़ देता है या जिम्मेदारों पर ठोस कार्रवाई कर पीड़ितों को न्याय दिलाता है।यह हादसा एक बार फिर सवाल खड़ा करता है, क्या बक्सर में विकास की कीमत आम लोगों के घर और जान से चुकाई जाएगी।