इस धारा के तहत मुस्लिम महिला भी के सकती है अपने गुजरे भत्ते की मांग,सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
10 जुलाई, 2024 बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं को लकेर बड़ा फैसला सुनाया।
केटी न्यूज़/दिल्ली
10 जुलाई, 2024 बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं को लकेर बड़ा फैसला सुनाया।कोर्ट ने कहा सीआरपीसी की धारा 125 के तहत एक मुस्लिम महिला पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है।मोहम्मद अब्दुल समद नाम के शख्स ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुजारा भत्ता को लेकर अहम फैसला दिया है।एक मुस्लिम शख्श ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि अगर सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आवेदन के लंबित रहने के दौरान संबंधित मुस्लिम महिला का तलाक होता है तो वह 'मुस्लिम महिला तलाक पर अधिकारों का संरक्षण अधिनियम 2019' का सहारा ले सकती है।कोर्ट ने कहा कि 'मुस्लिम अधिनियम 2019' सीआरपीसी की धारा 125 के तहत उपाय के अलावा अन्य समाधान भी मुहैया कराता है।
सीआरपीसी की धारा 125 पत्नी, बच्चे और माता-पिता को भरष-पोषण का प्रावधान करती है।सीआरपीसी की धारा 125 में कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी, बच्चे या माता-पिता के भरण-पोषण से इनकार कर देता है, जबकि वह ऐसा करने में समर्थ है। ऐसे हालात में अदालत उसे भरण-पोषण के लिए मासिक भत्ता देने का आदेश दे सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत तलाकशुदा पत्नी को गुजारा भत्ता देने के निर्देश के खिलाफ मोहम्मद अब्दुल समद के जरिए दायर याचिका को खारिज कर दिया।कोर्ट ने माना कि 'मुस्लिम महिला तलाक पर अधिकारों का संरक्षण अधिनियम 1986' धर्मनिरपेश कानून पर हावी नहीं हो सकता है।जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस मसीह ने अलग-अलग, लेकिन सहमति वाले फैसले दिए।हाईकोर्ट ने मोहम्मद समद को 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था।