चौगाईं में प्राचीन शिवमंदिर व तालाब का अस्तित्व बचाने सड़क पर उतरे ग्रामीण, दिया धरना
- ग्रामीणों का आरोप सार्वजनिक जमीन को सर्वे में करा लिया गया है रैयती
- बोले प्रभारी सीओ 1970 के सर्वे में रैयती हो चुकी है जमीन
केटी न्यूज/चौगाईं
चौगाईं के दक्षिण पोखरा तथा उसके पास स्थित प्राचनी शिवमंदिर का अस्तित्व बचाने के लिए स्थानीय ग्रामीण सड़क पर उतर आए है। मंगलवार को दर्जनों ग्रामीणों ने एक दिवसीय धरना दे इस जमीन के साथ ही प्राचीन शिवमंदिर, तालाब, पिंड तथा उस पर लगे पेड़-पौधों का अस्तित्व बचाने की मांग शासन प्रशासन से की है। यह धरना चौगाईं पेट्रोल पंप व मंदिर जाने वाले रास्ते के बीच आयोजित किया गया था। जिसकी अध्यक्षता अभिजीत सिंह व संचालन अमित सिंह ने किया। वक्ताओं ने कहा कि दशकों से पूरा गांव इस प्राचीन शिव मंदिर में पूजा अर्चना करता है। लोक आस्था का महापर्व छठ भी मंदिर के पास स्थित तालाब के किनारे संपन्न होता है।
वही पिंड तथा पेड़ पौधे भी है। लेकिन भू-माफियाओं द्वारा इस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर बेचा जा रहा है। इसी के विरोध में ग्रामीणों ने धरना दिया था। ग्रामीणों ने इस जमीन को भू-माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराने तथा जल जीवन हरिायाली योजना के तहत तालाब का जीर्णोद्धार कराने की मांग भी की है। धरना देने वालों में कुमार विजय, नरेन्द्र कुमार सिंह, रमेश सिंह, राजेंद्र सिंह, दिना सिंह, मिठू सिंह, सोनू सिंह, अभयजीत सिंह, संजीव मेहता, राजकुमार सोनार, दीनानाथ सिंह, भरत महतो, श्रीभगवान महतो समेत दर्जनों लोग मौजूद थे।
क्या कहते है प्रभारी सीओ
यह जमीन 1907 के सर्वे में सर्वसाधारण की जमीन थी। लेकिन 1970 के सर्वे में यह रैयती हो गई है। 2014 में ग्रामीणों द्वारा इस मुद्दे पर सिविल कोर्ट में परिवाद भी दाखिल किया गया है। लेकिन उसमें अभी तक स्टे नहीं मिला है। इस मामले में नियमानुकुल कार्रवाई करंेगे। - अजित कुमार सिंह, प्रभारी सीओ, चौगाईं