गणेश जी को क्यों नही चढ़ानी चाहिए तुलसी..?

गणेश जी के जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। आप अगर आज गणेश जे को घर लाने वाले हैं, तो याद रखें कि गणेश जी की पूजा में कुछ फूल और पत्तों को वर्जित माना गया है।

गणेश जी को क्यों नही चढ़ानी चाहिए तुलसी..?
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केटी न्यूज़/दिल्ली

गणेश जी के जन्मोत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। आप अगर आज गणेश जे को घर लाने वाले हैं, तो याद रखें कि गणेश जी की पूजा में कुछ फूल और पत्तों को वर्जित माना गया है।गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा के साथ पंचदेवों की पूजा का भी विधान है। इन पंचदेवों की पूजा करते समय भी कुछ फूलों और पत्तों को वर्जित माना गया है।चलिये हम बताते हैं।

गणेश जी को तुलसी को छोड़कर सभी पत्ते और फूल प्रिय हैं, इसलिए उन्हें सभी बेलपत्र और फूल चढ़ाए जाते हैं। गणेश जी को दूर्वा अधिक प्रिय है इसलिए उन्हें सफेद या हरी दूर्वा गणेश जी को अवश्य चढ़ानी चाहिए। दूर्वा की कली में तीन या पांच पत्तियां होनी चाहिए। गणपति को कभी भी तुलसी न चढ़ाएं।

पद्म पुराण आचार रत्न में लिखा है कि 'न तुलस्य गणाधिपम' यानी गणेश जी की पूजा कभी भी तुलसी से नहीं करनी चाहिए। कार्तिक-महात्म्य में भी कहा गया है कि 'गणेशं तुलसीपत्रैरदुर्गा नैव तु दूर्वाया' अर्थात तुलसी के पत्तों से गणेश की और दूर्वा से दुर्गा की पूजा नहीं करनी चाहिए। पद्मपुराण और गणेश पुराण में वर्णित एक कहानी के अनुसार देवी तुलसी ने गणेश जी को शाप दिया था, जिस कारण से उनकी पूजा में तुलसी अर्पित नहीं की जाती। गणेश पुराण में वर्णित कहानी के अनुसार देवी तुलसी गणेश जी से विवाह करना चाहती थी लेकिन गणेश जी उनसे विवाह नहीं करना चाहते थे। इस बात से क्रोधित होकर देवी तुलसी ने गणेश जी को दो पत्नियों का शाप दे दिया था।

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश के साथ गणपति, गौरी, विष्णु, सूर्यदेव और भगवान शिव की पूजा की जाती है। इन देवी-देवताओं को ही पंचदेव कहा जाता है। इन देवी-देवताओं की पूजा करने से न केवल सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है बल्कि आपकी सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती है। गणेश चतुर्थी पर पंचदेवों को जरूर पूजना चाहिए।