विश्व यक्ष्मा दिवस विशेष: “यस! वी कैन एंड टीबी” की थीम पर आयोजित होंगे कार्यक्रम
- सभी प्रखण्डों पर निकली जाएगी प्रभात फेरी, कार्यक्रमों द्वारा दिया जाएगा जागरूकता का संदेश
- मरीजों को सरकार द्वारा दी जाती है सहायता राशि
केटी न्यूज/बक्सर : हर वर्ष 24 मार्च को विश्व यक्ष्मा दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष के विश्व टीबी दिवस की थीम “यस! वी कैन ऐण्ड टीबी” चुना है। यह थीम सही अर्थों में तात्कालिकता को दर्शाता है और टीबी को खत्म करने के प्रयासों में निवेश करने की आवश्यकता का बोध कराता है। अधिक से अधिक टीबी रोगियों की पहचान एवं उनके इलाज में सभी का सहयोग टीबी उन्मूलन का मूलमंत्र है। टीबी उन्मूलन अभियान को सफल बनाने में विभाग के कर्मियों के साथ-साथ आम लोगों की सहभागिता अति आवश्यक है।
प्रखंडवार भी जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन:
सिविल सर्जन सह जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया विश्व यक्ष्मा दिवस पर जिले के सभी प्रखण्डों पर प्रभात फेरी, रैली और अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर एवं जेलों में टीबी से जुड़े जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। टीबी से जिले और देश को 2025 मुक्त बनाने के लिए नए टीबी रोगियों की खोज और उनके तुरंत उपचार को प्राथमिकता दी जा रही है। भारत सरकार का लक्ष्य है कि पूरे देश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है।
गरीबी और कुपोषण टीबी के कारक:
डॉ. सिन्हा ने बताया टीबी को हराने के लिए सबसे पहले हमारे समाज को आगे आने की जरूरत है। वहीं गरीबी और कुपोषण टीबी के सबसे बड़े कारक हैं। इसके बाद अत्यधिक भीड़, कच्चे मकान, घर के अंदर प्रदूषित हवा, प्रवासी, डायबिटीज, एचआईवी, धूम्रपान भी टीबी के कारण होते हैं। टीबी मुक्त करने के लिए सक्रिय रोगियों की खोज, प्राइवेट चिकित्सकों की सहभागिता, मल्टीसेक्टरल रिस्पांस, टीबी की दवाओं के साथ वैसे समुदाय के बीच पहुंचाने की जरुरत है।
निक्षय योजना का मिलता है लाभ:
निक्षय योजना के तहत प्रत्येक टीबी मरीज को पूरे इलाज के दौरान 500 रुपये दिए जाते हैं ताकि वह अपने पोषण की जरूरतों को पूरा कर सके। यह राशि सीधे टीबी मरीजों के बैंक खाते में जाती है जो कि बिल्कुल ही पारदर्शी व्यवस्था से गुजरता है। निक्षय मित्र योजना के तहत लोगों से अपील की जा रही है कि वह आगे आकर टीबी मरीजों को गोद लेकर उनकी पोषण की जरूरतों को पूरा करें और टीबी उन्मूलन अभियान में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।
प्राइवेट चिकित्सक को नए मरीज खोजने पर मिलेंगे 500 रुपए :
प्राइवेट और सरकारी चिकित्सक मिलकर टीबी रोगियों की खोज कर उसे सरकारी अस्पताल में इलाज एवं जांच के लिए प्रेरित करें। राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम अनुसार भारत को टीबी मुक्त देश बनाना है। प्राइवेट डॉक्टरों से अपील करते हुए डॉ सिन्हा ने कहा कि वैसे मरीज जो उनके पास टीबी के इलाज के लिए आते हैं उन्हें यूएसडीटी, एचआईवी और ब्लड शुगर की जांच कराने सरकारी अस्पताल में जरूर भेजें। वहीं टीबी मरीजों की पहचान करने पर प्राइवेट चिकित्सकों को भी पांच सौ रुपए दिए जाते हैं।