बच्चों में कृमि संक्रमण उनके मानसिक व शारीरिक विकास में बाधक
- मॉपअप राउंड के तहत छूटे हुए बच्चों को खिलाई गई अल्बेंडाजोल की दवा
- आंगनबाड़ी केंद्रों व स्कूलों में चलाया गया विशेष अभियान
केटी न्यूज/ बक्सर
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत शुक्रवार को जिले में संचालित अभियान में छूटे हुए बच्चों को मॉप अप राउंड के तहत अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई गई। ताकि, एक से 19 साल तक के सभी बच्चे अल्बेंडाजोल की दवा का लाभ ले सकें। वहीं, विभाग के निर्देशानुसार अल्बेंडाजोल दवा का सेवन शिक्षक तथा आंगनबाड़ी सेविका के साथ आशा कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में कराया गया। अभियान के दौरान न केवल कोविड के सामान्य नियमों का पालन किया गया, बल्कि बच्चों को निर्धारित डोज के अनुसार दवा दी गई। जिसमें एक से दो वर्ष के बच्चों के अल्बेंडाजोल 400 एमजी टैबलेट को आधा कर उसका चूर्ण पानी के साथ खिलाया गया। वहीं, दो से तीन वर्ष के बच्चों को अल्बेंडाजोल 400 एमजी का एक टैबलेट चूर्ण कर पानी के साथ तथा तीन से 19 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों और किशोरों को एक पूरा टैबलेट चबाकर खिलाया गया।
विकास में अवरोधक का काम करता है कृमि :
सदर प्रखंड के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुधीर कुमार ने बताया, बच्चों में कृमि संक्रमण उनके मानसिक व शारीरिक विकास में अवरोधक का काम करता है। कृमि आंतों की दीवारों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके कारण आंत में पोषक तत्वों का ठीक से अवशोषण नहीं होता है, भूख कम हो जाती है और डायरिया की समस्या भी हो जाती है। ऐसे बच्चे एनीमिया का शिकार हो जाते हैं। वे थकान और कमजोरी का भी अनुभव करते हैं। पेट में कृमि के इंफेक्शन का प्रभाव बढ़ते बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर भी होता है। बच्चे नई चीजों को याद रखने में मुश्किल का अनुभव करते हैं। इसका नतीजा होता है कि वे स्कूल जाने से बचने लगते हैं। जिससे शिक्षा का नुकसान होता और उनके जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
बच्चों और किशोरों को सामने खिलाई गई गोली :
अभियान के तहत निजी व सरकारी विद्यालयों, संस्थानों के माध्यम से और 6 से 19 आयु वर्ग के बालक एवं बालिकाओं को कृमि नाश के लिए अल्बेंडाजोल गोली शिक्षक की उपस्थिति में खिलाई गई। वहीं, सभी एक से छह वर्ष तक के पंजीकृत एवं अपंजीकृत बालक और बालिकाओं को आंगनबाड़ी केंद्रों में अल्बेंडाजोल की गोली का सेवन कराया गया। किसी भी स्थिति में गोली घर ले जाने के लिए नहीं दी गई। अभियान के दौरान दोनों निर्धारित तिथियों को कहीं से भी किसी बच्चे के बीमार होने की सूचना नहीं मिली। राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान को सफल बनाने के लिए त्रिस्तरीय माइक्रो प्लान बनाकर संचालित किया गया था। जिसमें आशा, आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूलों को शामिल किया गया।