वाह रे डुमरांव नगर परिषद : अतिक्रमण हटाओ अभियान साबित हो रहा है किसी से मोहब्बत किसी से रूस्वाई
डुमरांव नगर परिषद में अतिक्रमण हटाने के नाम पर चल रही कार्रवाई पर पक्षपात और रसूखदारी के आरोपों ने पूरे शहर में नई बहस छेड़ दी है। मामला इतना गंभीर है कि अब नगर परिषद की कार्यशैली, कर्मचारियों की निष्पक्षता और पुलिस प्रशासन की भूमिका कटघरे में खड़ी नजर आ रही है।
-- डुमरांव नगर परिषद की कार्रवाई पर उठे गंभीर सवाल, क्या अतिक्रमण हटाओ अभियान सिर्फ कमजोरों के लिए
-- प्रधान सहायक के घर के बाहर बने अतिक्रमण पर ‘चुप्पी’, दूसरे पक्ष का चबूतरा तोड़कर प्रवेश बाधित, पीड़ित ने पुलिस व प्रशासन की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव नगर परिषद में अतिक्रमण हटाने के नाम पर चल रही कार्रवाई पर पक्षपात और रसूखदारी के आरोपों ने पूरे शहर में नई बहस छेड़ दी है। मामला इतना गंभीर है कि अब नगर परिषद की कार्यशैली, कर्मचारियों की निष्पक्षता और पुलिस प्रशासन की भूमिका कटघरे में खड़ी नजर आ रही है। छठिया पोखरा निवासी उमेश कुमार गुप्ता द्वारा लगाए गए आरोपों ने संकेत दिया है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान कहीं-ना-कहीं ‘चुनिंदा’ लोगों तक ही सीमित रह गया है, जबकि असरदार लोगों को कार्रवाई से बाहर रखा जा रहा है।

उमेश कुमार गुप्ता के मुताबिक सोमवार शाम नगर परिषद की अतिक्रमण हटाओ टीम उनके घर के सामने पहुंची और प्रवेश द्वार पर बने चबूतरे को अतिक्रमण बताते हुए तत्काल तोड़ दिया। इससे उनके घर में जाने का मुख्य मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया और परिवार को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। पीड़ित का आरोप है कि यह कार्रवाई एकतरफा और मनमानी थी, क्योंकि उनके घर के ठीक बगल में नगर परिषद के ही प्रधान सहायक दुर्गेश सिंह के घर के बाहर बड़े पैमाने पर नाली पर चबूतरा बना है, जो चारपहिया वाहन तक ले जाने में उपयोग होता है। बावजूद इसके, टीम ने उस पर हाथ तक नहीं लगाया।

पीड़ित का कहना है कि जब उन्होंने टीम से भेदभाव का कारण पूछा और समान कार्रवाई की मांग की, तो नगर परिषद के कर्मी भड़क गए। उनके अनुसार नगर परिषद के पांच नामजद कर्मियों ने उनके साथ मारपीट की, धमकाया और दबाव बनाने का प्रयास किया। इसी आधार पर उन्होंने प्रधान सहायक समेत पांच कर्मियों के खिलाफ थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई। लेकिन शिकायत देने के बाद भी न नगर परिषद प्रशासन और न ही पुलिस की ओर से कोई प्रतिक्रिया या कार्रवाई सामने आई। इससे पीड़ित के आरोप और भी मजबूत होते दिख रहे हैं कि बड़े बाबू के रसूख के कारण मामले को दबाने की कोशिश चल रही है।

इधर स्थानीय लोगों ने भी खुलासा किया कि जिस विवादित स्थान पर सोमवार को कार्रवाई हुई थी, उसी जगह मंगलवार सुबह से फिर किरायेदार दुकानदारों ने चौकी लगाकर दुकानें सजा लीं। इससे साफ है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई प्रभावशाली लोगों के लिए ‘बेमानी’ और आम जनता पर दबाव बनाने का साधन बनकर रह गई है। लोगों का कहना है कि नगर परिषद का रवैया ऐसा ही रहा तो अतिक्रमण हटाने का अभियान कभी सफल नहीं हो पाएगा।

शहरवासियों का मानना है कि जब सरकारी कर्मचारी स्वयं नियमों के पालन में दोहरी नीति अपनाएं, तो आम जनता पर कार्रवाई करना न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। इस विवाद ने नगर परिषद के वरीय अधिकारियों को भी असहज स्थिति में ला दिया है, क्योंकि अब पूरा शहर उनकी अगली पहल पर नजरें गड़ाए बैठा है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि निष्पक्ष जांच होगी और दोषी चाहे कोई भी हो, उस पर समान कार्रवाई की जाएगी।

पीड़ित उमेश गुप्ता ने साफ कहा कि यदि प्रभावशाली लोगों को यूं ही संरक्षण मिलता रहा, तो नगर परिषद की विश्वसनीयता संदिग्ध हो जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी है कि जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, वे न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे। यदि पुलिस से न्याय नहीं मिला तो वे अनुमंडल लोक शिकायत निवारण कार्यालय का दरवाजा खटखटाएंगे।

फिलहाल डुमरांव नगर परिषद पर लग रहे पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के आरोप उसकी कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहे हैं, क्या प्रशासनिक दबाव और रसूख के आगे आम नागरिक का अधिकार हमेशा इसी तरह दबता रहेगा, शहर इस सवाल का जवाब चाहता है।

-- बोले, ईओ जांच कर होगी कार्रवाई
इस गंभीर मसले पर जब ईओ राहुलधर दूबे से संपर्क स्थापित किया गया तो उन्होंने बताया कि अभी तक उन्हें मामले की जानकारी नहीं मिली है या किसी तरह की शिकायत उनके पास नहीं पहुुंची है। मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है, मामले की जांच कराई जाएगी। दोष सिद्ध होने पर संबंधित लोगों पर कार्रवाई की जाएगी।
