2023: विश्व के दुश्मन देशों में बढ़ेगा तनाव, बिहार में जून जुलाई तक हो सकता है सत्ता परिवर्तन: द्विवेदी
- भारत को विश्व की राजनीति में अपना स्थायी वर्चस्व बनाने में मिलेगी सफलता
केटी न्युज/ बक्सर
2023 ई सन के अनुसार शनिवार को साल 2022 का अन्त और रविवार को साल 2023 का सूर्याेदय पूरे विश्व में दुश्मन देशों में तनाव और बढा़ सकता है। लम्बे विवाद वाले विषय पर बड़े देश विजय पा सकते है। यह बाते आचार्य ज्योंतिषाचर्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी ने केशव टाइम्स से विशेष बातचीत में उन्होंने कही। उन्होंने कहा कि अनावश्यक विवाद और आतंकवाद को पनपाने या पनाह देने वाले देश स्वयं की गलती से बर्बादी की ओर अग्रसर होंगे। पंडित नरोत्तम ने कहा कि भारत का प्रभाव पूरे विश्व की राजनीति में अपना स्थायी वर्चस्व बनाने में सफलता हासिल कर सकता है। द्विवेदी ने कहा कि भारत पूर्व में खोई भूमि, धनादि, प्रतिष्ठा को प्राप्त करने में कामयाब हो सकता है। 2023 में जनवरी ,फरवरी और मार्च के प्रथम सप्ताह तक ठंढ का भीषड़ प्रकोप होने, पुराने रिकार्ड तोड़ने की स्थिति बन सकती है। हिन्दी मास माघ में सर्द ,वर्फीली हवाएं बर्फीले तूफान अनेक देशों में तबाही मचायेंगे। सागर भी अछूता नही रहेगा। पंडित नरोत्तम ने कहा कि भारत के कई राज्यों में सत्ता परिवर्तन होने का योग है। पंडित नरोत्तम के अनुसार बिहार में भी जून जुलाई तक सत्ता परिवर्तन या हस्तांतरण का योग बनेगा। देश के कई राज्यों में आंदोलन का प्रस्फुटन देखने को मिल सकता है। भारत में इस वर्ष औद्योगिक विकास तेज गति से होने का योग है। सरकारी कर्मचारी के सामने सरकार को झुकना पड़ेगा एवं वर्षाे से लम्बित मांग को स्वीकारना पड़ सकता है। लेकिन इस वर्ष छोटे बच्चों से सम्बन्धित नई बीमारी पनपने का योग है। वर्तमान वैश्विक महामारी का उतार चढ़ाव जारी रहेगा। भारत मे इसका असर पहले की अपेक्षा कम होगी। भारत हर क्षेत्र में वर्चस्व बढ़ेगा।
आचार्य ज्योंतिषाचर्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी के अनुसार 2023 राशिनुसार का फल-
मेष- रोग, वाद विवाद तथा भाग्य बृद्धिकारक।
वृष- चोट,व्रत,रक्त विकार,विवाद, अग्नि,बिजली भय,और वर्षान्त में लाभ योग।भाग्य वृद्धि योग।
मिथुन- मानसिक व्यथा,चिन्ता,गैसादि रोग भय,किन्तु राजसुख योग।
कर्क- शत्रु से लाभ,ज्वर भय,शस्त्र भय,बिजली भय,पत्नि को पीड़ा, बीच-बीच में लाभादि योग।
सिंह- क्रूर बुद्धि, क्रोधाधिक्य,वातरोग भय,जल भय,कफ रोग भय,सर दर्द भय किन्तु राज प्रसन्नता वर्चस्व वृद्धि।
कन्या- नेत्र पीड़ा,गृहादि सुख बाधा,माता-पिता को कष्ट भय किन्तु सर्व कार्य सिद्धि योग।अप्रैल मई में दुर्घटना भय।
तुला- वात,इन्फेक्शन जनित रोग भय,सहोदर कष्ट,गृहादि सुख वृद्धि, पत्नि को कष्ट भय।विप्र शत्रु भय,कफ रोग भय।
वृश्चिक- सहोदर कष्ट, वृत्ति प्राप्ति योग,अनुकुलता,सर दर्द भय,चोट भय,मई,जून में
धनु- क्रोध वृद्धि, बुखारादि भय धन वृद्धि, गृहादि वृद्धि योग ,व्रत भय।वर्ष के अन्त में हानि भय।
मकर - भाग्य वृद्धि योग,गृह निर्माण योग ,माता-पिता को कष्ट भय,मुकदमा भय राज भय।
कुंभ- धनादि वृद्धि योग,नेत्र रोग भय,भाग्य वृद्धि, अभीष्ट सिद्धि, कार्य सफलता।
मीन- सर्व कार्य सिद्धि,, नेत्र रोग भय,भाग्य वृद्धि योग,सर्वत्र लाभ, वाहन,वस्त्र, गृहादि सुख वृद्धि।