शीतलहर में प्रशासनिक उदासीनता, अलाव के अभाव में बढ़ी लोगों की परेशानी

स्थानीय प्रखंड क्षेत्र में बीते चार दिनों से जारी कड़ाके की ठंड और शीतलहर ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। तापमान में लगातार गिरावट के बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

शीतलहर में प्रशासनिक उदासीनता, अलाव के अभाव में बढ़ी लोगों की परेशानी

केटी न्यूज/नावानगर

स्थानीय प्रखंड क्षेत्र में बीते चार दिनों से जारी कड़ाके की ठंड और शीतलहर ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। तापमान में लगातार गिरावट के बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। खासकर सुबह-शाम बाजारों और चौक-चौराहों पर निकलने वाले लोगों को ठंड से जूझना पड़ रहा है। सबसे अधिक मुश्किल दिहाड़ी मजदूरों, सब्जी विक्रेताओं व खोमचा लगाने वालों को हो रही है, जिनकी रोजी-रोटी खुले आसमान के नीचे निर्भर है। ठंड के कारण बाजारों में ग्राहकों की संख्या भी घट गई है, जिससे इन वर्गों की आमदनी पर सीधा असर पड़ रहा है। वहीं बुजुर्गों और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता बढ़ गई है।

ग्रामीण क्षेत्रों में लोग ठंड से बचने के लिए घरों में ही सिमटे हुए हैं, लेकिन जरूरी कार्यों से बाजार और प्रखंड कार्यालय आने वाले लोगों को अलाव के अभाव में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। नावानगर, सोनवर्षा, सिकरौल और बासुदेवा जैसे प्रमुख बाजारों में एक भी स्थान पर अलाव की व्यवस्था नहीं दिखी। यहां तक कि प्रखंड कार्यालय परिसर में भी ठंड से बचाव का कोई इंतजाम नहीं होने से फरियादी और कर्मी ठिठुरते नजर आए। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर वर्ष ठंड के मौसम में अलाव की व्यवस्था की जाती रही है, लेकिन इस बार प्रशासन की उदासीनता साफ झलक रही है। लोगों ने मांग की है कि अविलंब सभी प्रमुख चौक-चौराहों, बाजारों और सरकारी परिसरों में अलाव की व्यवस्था कराई जाए, ताकि शीतलहर के इस दौर में आमजन को कुछ राहत मिल सके।