महीनों बाद शहीद पार्क की सफई हुई शुरू, नगरवासियों में खुशी
नगर का इकलौता शहीद पार्क नगर सहित जिले के आसपास क्षेत्रों के लोग घुमने के के लिये पार्क में पहुंचते हैं। इस पार्क की स्थिति इतनी खराब थी कि पार्क जंगली घासों से पूरी तरह से ढक गया था। आपके अपने केटी न्यूज ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
- शहीद पार्क शहीदों की मूर्ति और घुमने के लिये जाते हैं लोग और बच्चे
केटी न्यूज/डुमरांव
नगर का इकलौता शहीद पार्क नगर सहित जिले के आसपास क्षेत्रों के लोग घुमने के के लिये पार्क में पहुंचते हैं। इस पार्क की स्थिति इतनी खराब थी कि पार्क जंगली घासों से पूरी तरह से ढक गया था। आपके अपने केटी न्यूज ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
खबर प्रकाशित होने के बाद नगर परिषद की निंद खुली और पार्क की सफाई शुरू की। आसपास के लोगों का कहना है कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को लेकर इसकी सफाई शुरू की गई है। सफाई में लगे मजदूर पहले निकल आए लंबे घासों की सफाई कर रहे हैं, फिर पार्क में लगे शहीदों की मूर्ति व चबूतरे का करेंगे। इधर नगरवासियों का कहना है कि इसकी सफाई प्रतिदिन होनी चाहिए, लेकिन इसके खुलने का कोई समय निर्धारित ही नहीं है। घुमने आने वाले लोग ताला बंद देख निराश हो वापस लौट जाते हैं।
नगर परिषद के अधीन पड़ने वाले इस पार्क की देखरेख के लिए नप द्वारा किसी की तैनाती ही नहीं की गई है। वैसे पार्कों का देखरेख वन विभाग को मिला हुआ, लेकिन उसे हैंड ओवर ही नहीं किया गया है। वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि नप इसे वन विभाग को हैंड ओवर कर देता तो सारी जिम्मेवारी उसकी हो जाती। वन विभाग के अधिकारी ने बताया की छठिया पोखरा के पास एक छोटा पार्क है, उसको हैंड ओवर किया गया है,
लिहाजा वहां वन विभाग ने दो कर्मियों को नियुक्त किया है। अब सवाल यह उठता है कि नगर के चार सपूत देश को अजादी दिलाने के लिये थाना पर देश की शान तिरंगा फहराने के दौरान अंग्रेजों के गोली का शिकार हो शहीद हो गए थे। वहीं पर चारों की मूर्ति लगाकर शहीद पार्क बनाया गया था, इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था,
बावजूद इसपर कोई पहल नहीं किया जाता। प्रशासन को इसकी याद केवल 26 जनवरी व 15 अगस्त को ही आती है। शहीद स्मारक कमिटी के संजय चंद्रवंशी, गोपाल प्रसाद गुप्ता, महेंद्र राम सहित अन्य का कहना है कि नगर परिषद की नकामी है कि अभीतक पार्क को वन विभाग को हैंड ओवर नहीं किया गया है। सफाई के लिए कहे जाने के बाद भी नहीं होता।