हर माह दो-दो लक्षण वाले मरीजों की बलगम जांच कराएंगी आशा कार्यकर्ता

हर माह दो-दो लक्षण वाले मरीजों की बलगम जांच कराएंगी आशा कार्यकर्ता

- नए मरीजों की खोज के लिए जिला यक्ष्मा केंद्र निर्धारित कर रहा प्रखंडवार लक्ष्य

- 2022 में निक्षय पोर्टल पर 2638 मरीजों का किया गया रजिस्ट्रेशन, 2023 में 257

बक्सर | सरकार 2025 तक टीबी को पूरी तरह से खत्म करने के लक्ष्य पर निरंतर अग्रसर है। इसके लिए विभिन्न योजनाओं और अभियानों के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हुए नए रोगियों की खोज के लिए काम किया जा रहा है। ताकि, जिले में टीबी के लक्षण वाले मरीजों की जांच की जा सके और उनका ससमय इलाज शुरू किया जा सके। हालांकि, जिला यक्ष्मा केंद्र का फोकस जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए मरीजों की शीघ्र पहचान, गुणवत्तापूर्वक इलाज और उनको योजनाओं का लाभ दिलाने पर है। वर्ष 2022 में जिले में 2638 को नोटिफाइड किया गया था। जिनमें 1227 सरकारी और 1411 निजी संस्थानों में नोटिफाइड किया गया। वहीं, 2023 में अब तक 257 लोगों का नाम निक्षय पोर्टल पर ऑनलाइन किया गया है। जिनमें 144 सरकारी फैसिलिटी और 113 निजी संस्थानों द्वारा नोटिफाइड किया गया है। हालांकि, नए मरीजों की खोज के लिए अधिक से अधिक जांच करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

एचडब्ल्यूसी में स्पूटम कलेक्शन की व्यवस्था :

सिविल सर्जन डॉ. जितेंद्र नाथ ने बताया, टीबी उन्मूलन के अभियान को सफल बनाने में जिले की स्वास्थ्य इकाइयों पर सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। अब पंचायत स्तर पर टीबी के लक्षणों की जांच की जाने लगी है। इसके लिए जिले में बने सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) में स्पूटम कलेक्शन की व्यवस्था की गई है। साथ ही, टीबी के लक्षण वाले मरीजों की खोज के लिए आशा कार्यकर्ताओं को भी लगाया जाएगा। इसके लिए प्रखंड सामुदायिक प्रेरक के माध्यम से हर माह आशा कार्यकर्ताओं को दो-दो टीबी के लक्षण वाले मरीजों की बलगम जांच कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ताकि, जिले में पंचायत स्तर तक टीबी जांच की व्यापक्ता बढ़ाई जा सके। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी किया जाएगा। ताकि, वो अपने क्षेत्र के लोगों में टीबी के लक्षणों की पहचान कर सकें।

लक्षण दिखने पर तत्काल कराएं जांच :

जिला यक्ष्मा केंद्र के एसटीएलएस कुमार गौरव ने बताया, जिला अस्पताल से प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी के मरीजों की जांच और इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। मरीजों को दवाएं भी मुफ्त दी जाती है। स्वास्थ्य केंद्रों पर बलगम की जांच माइक्रोस्कोप एवं टूनेट सीबीनेट मशीन द्वारा नि:शुल्क की जाती है। मरीजों की जांच के उपरांत टीबी की पुष्टि होने पर पूरा इलाज उनके घर पर ही डॉट प्रोवाइडर के माध्यम से नि:शुल्क की जाती है। नए रोगी चिह्नित होने पर उनके पारिवारिक सदस्यों को भी टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट दिया जाता है, ताकि परिवार के अन्य सदस्यों में टीबी बीमारी न फैले। उन्होंने बताया कि टीबी के इलाज में सबसे जरूरी है लक्षणों की पहचान। जिन लोगों में सीने में दर्द, चक्कर, दो सप्ताह से ज्यादा खांसी या बुखार आना, खांसी के साथ मुंह से खून आना, भूख में कमीं और वजन कम होना आदि लक्षण हैं, वो टीबी की जांच अनिवार्य रूप से कराएं।