बेटी को मिला सम्मान : दृष्टिहीन महिला टी-20 विजेता टीम की सदस्य अनु की एक झलक पाने को उमड़ा सैलाब, राज परिवार ने किया सम्मानित
पहली दृष्टिहीन महिला टी-20 विश्वकप विजेता टीम की अहम सदस्य व अनुमंडल के सिमरी प्रखंड के मुकुंदपुर गांव निवासी अनु कुमारी विश्व विजेता बनने के बाद गुरूवार को पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंची। इस दौरान उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों की संख्या में लोग सड़क किनारे खड़े हो गए।
-- विश्वविजेता बनने के बाद पहली बार पैतृक गांव मुकुंदपुर पहुंची अनु कुमारी, पुराना भोजपुर से गांव तक आयोजित हुआ रोड-शो
-- भोजपुर कोठी पर मान विजय सिंह व परिवार के सदस्यों ने फूल-माला पहना तथा मिठाई खिला दी बधाई
केटी न्यूज/डुमरांव
पहली दृष्टिहीन महिला टी-20 विश्वकप विजेता टीम की अहम सदस्य व अनुमंडल के सिमरी प्रखंड के मुकुंदपुर गांव निवासी अनु कुमारी विश्व विजेता बनने के बाद गुरूवार को पहली बार अपने पैतृक गांव पहुंची। इस दौरान उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों की संख्या में लोग सड़क किनारे खड़े हो गए। बता दें कि पिछले बुधवार को श्रीलंका के कोलंबो में हुए पहले दृष्टिहीन महिला टी-20 विश्वकप के फाइनल मुकाबले में भारतीय लड़कियों ने नेपाल को एकतरफा अंदाज में सात विकेट से मात दे पहली विश्वकप जीत इतिहास रच दी। अनु ने अपने कोटे के चार ओवर में एक सफलता हासिल की, जबकि उसकी बल्लेबाजी की बारी नहीं आई।


अनु बक्सर से सड़क मार्ग से अपने गांव आ रही थी। इस दौरान पुराना भोजपुर से ही उनके सम्मान में लोगों ने रोड-शो शुरू कर दिया। राज परिवार की जिप्सी पर अनु को बैठाया गया था। पुराना भोजपुर मध्य विद्यालय के पास पहुंचते ही कारवां रोड-शो में तब्दील हो गया था। इसके पहले अनु को लेकर लोग मध्य विद्यालय भी पहुंचे, जहां प्रधानाध्यापक के नेतृत्व में उनका स्वागत किया गया। इस दौरान विद्यालय के बच्चों ने करतल ध्वनियों से विश्व-विजेता अनु का स्वागत किया। बच्चे अपने बीच अनु को देख काफी खुश नजर आ रहे थे।

-- राज परिवार में माला पहना व मिठाई खिला की हौसला अफजाई
पुराना भोजपुर से अनु का रोड-शो भोजपुर कोठी पहुंचा, जहां राजपरिवार के मान विजय सिंह के नेतृत्व में अनु को जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान अनु के पिता सोहन चौधरी, माता प्रमिला देवी, बहने रंजू, मुस्कान, खुशी तथा भाई आकाश चौधरी के साथ ही सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण व गणमान्य मौजूद थे। मानविजय सिंह ने अनु की उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि अनु तथा उसकी टीम ने दृष्टिहीन महिलाओं के लिए आयोजित पहले विश्वकप के खिताब को जीत पूरे देश का मान बढ़ाया है।


उन्होंने कहा कि अनु की जीतनी भी तारीफ की जाए वह कम होगी बता दें कि अनु के पिता सोहन मानविजय सिंह के ही मुलाजिम है। इस मौके पर रोड-शो के लिए मानविजय सिंह ने अपने पिता की पुरानी जिप्सी को दिया था, जिस पर खड़ी हो अनु पुराना भोजपुर से अपने गांव तक लोगों का अभिवादन स्वीकार करती रही। भोजपुर के कोठी के बाद नया भोजपुर चौक पर भी अनु का स्वागत किया गया। इस दौरान पुराना भोजपुर से नया भोजपुर तक सड़क किनारे लोग खड़े हो अनु पर फूलो की वर्षा कर रहे थे तथा उसके जयकारे लगा रहे थे।

-- दृष्टि नहीं दृढ़ संकल्प से मिलती है सफलता - अनु कुमारी
वहीं, विश्व विजेता टीम का हिस्सा बनी अनु कुमारी ने कहा कि सफलता दृष्टि से नहीं, बल्कि दृढ़ संकल्प व दृढ़ ईच्छा शक्ति से मिलती है। अनु ने कहा कि दृष्टिहीन बालिकाओं के लिए यह पहला टी-20 विश्वकप आयोजित हो रहा था। जिसे जीतने का हम सभी ने दृढ़ संकल्प लिया था। हमारे कोच तथा सपोर्टिंग स्टॉफ से मिला गाइडलाइन हमलोगों के बहुत काम आया। हम सभी ने टीम भावना के साथ विश्व कप खेला तथा इसे जीत भी लिया। अनु से जब विश्वकप के अनुभव के संबंध में पूछा गया तो वह बोली कि विश्वकप जीतना हम सभी के लिए गौरव की बात है। अनु ने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि गांव तथा आस पास की लड़कियों को खेल के लिए प्रेरित किया जाए।

-- बोले माता-पिता, अनु ने हमे गौरवान्वित कर दिया
वहीं, अनु के पिता सोहन चौधरी व माता प्रमिला देवी का कहना है कि बेटी ने हमे गौरवान्वित कर दिया है। अनु के चलते ही आज पूरे देश में हमारी पहचान हो रही है। उसके माता-पिता ने कहा कि अनु के दिव्यांग पैदा होने का उन्हें कभी दुख नहीं हुआ था। अनु शुरू से ही मेहनती तथा लगनशील है। वह जिस काम को शुरू करती, उसे पूरा कर ही रूकती थी। उसकी प्रतिभा को देखते हुए ही हमलोगों ने उसकी पढ़ाई जारी रखी। उसका आज सुखद परिणाम सबके सामने है।
