नेता मेधा पाटकर को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 21 साल पुराने मामलें में पाया दोषी
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने आज उन्हें दोषी ठहराया।
केटी न्यूज़/दिल्ली
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा उनके खिलाफ दायर मानहानि मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने आज उन्हें दोषी ठहराया।मेधा पाटकर को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने आपराधिक मानहानि का दोषी पाया।संबंधित कानून के तहत, सामाजिक कार्यकर्ता पाटकर को 2 साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकती हैं।
ये केस 21 साल पुराना था।जिसमें पाटकर और सक्सेना के बीच वर्ष 2000 से ही एक कानूनी लड़ाई जारी है। जब पाटकर ने उनके और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के खिलाफ एक वाद दायर किया था। सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित गैर सरकारी संगठन नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे। सक्सेना ने भी एक टीवी चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और प्रेस को मानहानिकारक बयान जारी करने के लिए पाटकर के खिलाफ दो मामले दायर किए थे।
साकेत कोर्ट ने मेधा पाटकर को दोषी ठहराते हुए कहा, 'शिकायतकर्ता को कायर, देशभक्त नहीं और हवाला लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाने वाले आरोपी के बयान न केवल मानहानिकारक थे, बल्कि नकारात्मक धारणाओं को भड़काने के लिए भी तैयार किए गए थे।'कोर्ट ने कहा कि, मेधा पाटकर ने आईपीसी की धारा 500 के तहत दंडनीय अपराध किया है। उसे इसके लिए दोषी ठहराया जाता है। उनकी हरकतें जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण थीं, जिसका उद्देश्य शिकायतकर्ता के अच्छे नाम को खराब करना था। उनके कार्यों ने वास्तव में जनता की नजर में उसकी प्रतिष्ठा और साख को काफी नुकसान पहुँचाया है।