जिले में मंडराया बाढ़ का खतरा, चेतावनी बिंदू के करीब पहुंची गंगा, तेज हुआ जल स्तर बढ़ने का रफ्तार
- रविवार को सुबह 2 सेमी प्रतिघंटा तो दोपहर बाद से 5 सेमी प्रतिघंटा बढ़ रहा है जलस्तर
केटी न्यूज/बक्सर
बक्सर में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। रविवार को दोपहर बाद गंगा के जलस्तर बढ़ने का रफ्तार काफी तेज हो गया है। केन्द्रीय जल आयोग के कनीय अभियंता प्रशांत चौरसिया द्वारा जारी किए गए आंकड़े में सुबह 8 बजे जहां जल स्तर 56.610 मीटर रिकार्ड किया गया था। इस दौरान गंगा प्रतिघंटे 2 सेमी बढ़ रही थी। वही शाम 5.20 बजे जलस्तर 56.980 मीटर पर
तक पहुंच गया। जबकि दो बजे के बाद से जलस्तर 5 सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। यदि जल स्तर बढ़ने का यही रफ्तार जारी रहा तो मंगलवार तक गंगा चेतावनी बिंदू को पार कर जाएगी। जानकारी के अनुसार उपरी हिस्से प्रयागराज व बनारस में भी गंगा के बढ़ने का रफ्तार तेज हुआ है। जिस कारण इस बार बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
संभावित बाढ़ को देखते हुए जिला प्रशासन द्वारा तैयारी तेज कर दी गई है। वही गंगा के तटवर्ती इलाकों के लोग भी इस बार जलस्तर बढ़ने के रफ्तार को देख सहमें हुए है। पिछले कुछ दिनों में उतराखंड सहित पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश तथा बादल फटने की घटनाओं के बाद भी बाढ़ की संभावना बनी हुई है। वही रविवार को गंगा का रौद्र रूप देख लोग सहमें हुए है।
प्रशासन तैयार, दवाई से लेकर पशुचारा तक की व्यवस्था रहेगी दुरूस्त
जिला प्रशासन बाढ़ के संभावित खतरें को देखते हुए इस बार पहले से ही तैयार है। बाढ़ से प्रभावित होने वाले इलाकों का पहले ही डीएम अंशुल अग्रवाल सहित जिलेभर के वरीय पदाधिकारी दौरा कर स्थानीय प्रशासन को जरूरी हिदायतें दे चुके है। मसलन बाढ़ से प्रभावित
होने वाले लोगों के अस्थायी बसेरा, उनके भोजन, दवाई तथा पालतू पशुओं के पशुचारा तक की व्यवस्था दुरूस्त रखने। पर्याप्त मात्रा में नाव की व्यवस्था करने तथा मेडिकल टीम को तैनात रहने को कहा गया है। वही जरूरत पड़ने पर एनडीआरएफ को भी बुलाया जाएगा। बहरहाल प्रशासन की नजर अभी गंगा के रफ्तार पर लगा हुआ है।
चौसा में सबसे पहले आती है बाढ़
बता दें कि बक्सर में गंगा चौसा प्रखंड से ही प्रवेश करती है। यही पर सबसे पहले बाढ़ भी आता है। चौसा का बनारपुर का इलाका सबसे पहले बाढ़ से प्रभावित होता है। इसके अलावे सदर प्रखंड के अर्जुनपुर, मझरिया, उमरपुर, सिमरी प्रखंड का केशोपुर, मानिकपुर, तवक्कल राय के डेरा, बीस के डेरा, ठगनी के डेरा, तिलक राय के हाता, नवरंग राय के डेरा, भिक्षु के डेरा, चक्की का जवही दियर, ब्रह्मपुर का नैनीजोर, ढाबी सहित दो दर्जन से अधिक गांव प्रभावित होते है।