भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष स्व. बबन उपाध्याय के श्राद्धकर्म सह श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए हजारों लोग

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष स्व. बबन उपाध्याय के श्राद्धकर्म सह श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए हजारों लोग

- पैतृक गांव बन्नी भरखरा में आयोजित हुआ था श्राद्धकर्म आए लोगों ने अर्पित किए श्रद्धा सुमन 

केटी न्यूज/बक्सर

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सह बक्सर पत्रकार संघ के पिता स्व बबन उपाध्याय का श्राद्धकर्म सह श्रद्धांजलि सभा शनिवार को संपन्न हुआ। इस दौरान सामाजिक, राजैनैतिक क्षेत्र से जुड़े हजारों लोग उनके श्राद्धकर्म में शामिल हुए तथा उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। श्राद्ध कर्म का आयोजन उनके पैतृक गांव बन्नी भरखरा में हुआ।

वैदिक विधान से श्राद्ध कर्म के विधानों को पूरा करने के बाद ब्रह्मभोज का आयोजन भी हुआ। इस मौके पर बड़ी संख्या में भाजपा तथा अन्य राजैनतिक दलों के साथ ही विविध सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय लोग उनके पैतृक गांव पहुंचे थे। बता दें कि 21 मार्च को 80 वर्ष की उम्र में स्व उपाध्याय का निधन हार्ट अटैक आने से बक्सर सदर अस्पताल में हो गया था।

शनिवार को उनके श्राद्धकर्म में पहुंच श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में जिले के चर्चित व्यवसायी व सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप राय, राजपुर व्यापार मंडल अध्यक्ष देवेन्द्र शुक्ल उर्फ रूना शुक्ल, गोपाल जी चौबे, कैथहर कला पंचायत के पैक्स अध्यक्ष बिनोदानंद ओझा, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष सच्चिदानंद भगत, माधुरी कुंवर, भाजपा पंचायती राज मंच के प्रदेश संयोजक ओमप्रकाश भुवन, वरिष्ठ भाजपा नेता कतवारू सिंह, बलराम पांडेय, डा राजेश सिन्हा, मिठाई सिंह, सतीश दूबे, सतीशचंद्र त्रिपाठी, जयप्रकाश राय, अनु तिवारी, गिट्टू तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता विजय मिश्र, श्रमजीवी पत्रकार युनियन के जिलाध्यक्ष डा. शशांक शेखर, राजू ठाकुर, चन्द्रकांत निराला, पत्रकार ओेंकारनाथ मिश्र, शुभनारायण पाठक, अनिल कुमार ओझा, दिलीप ओझा, अरबिंद कुमार चौबे, रजनीकांत दूबे, अमित सिंह, मो मोईन, बिनोद कुमार, अरबिंद तिवारी, शंकर पांडेय, संघ के विमल कुमार समेत हजारों लोग शामिल थे।

जिले के चर्चित व्यवसायी व सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप राय  ने कहा कि  स्व उपाध्याय जैसा व्यक्तित्व विरले ही पैदा होते है। वे आजीवन संघ परिवार व भाजपा के सिद्धांतों से जुड़े रहे थे। प्रदीप राय ने कहा कि सामाजिक व राजनीतिक जीवन में उनकी शुचिता अनुकरणीय है। उनकी कमी आजीवन खलते रहेगी।