मूर्ति निर्माण से लेकर विसर्जन तक नियमों का सख्ती से होगा पालन - जिलाधिकारी
त्योहारों के मौके पर मूर्तियों के निर्माण और विसर्जन के दौरान प्रदूषण और अव्यवस्था पर अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, पटना के निर्देशों के आलोक में बिहार पूजा के उपरांत मूर्ति विसर्जन प्रक्रिया नियमावली 2021 तथा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 (संशोधित) का अनुपालन सुनिश्चित कराने को लेकर जिलाधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं।

-- जिला प्रशासन ने सभी अधिकारियों व पूजा समितियों को जारी किया निर्देश
केटी न्यूज/बक्सर
त्योहारों के मौके पर मूर्तियों के निर्माण और विसर्जन के दौरान प्रदूषण और अव्यवस्था पर अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, पटना के निर्देशों के आलोक में बिहार पूजा के उपरांत मूर्ति विसर्जन प्रक्रिया नियमावली 2021 तथा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली 2016 (संशोधित) का अनुपालन सुनिश्चित कराने को लेकर जिलाधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार की अधिसूचना के अनुसार 1 जुलाई 2022 से पूरे राज्य में पोलीस्टाइरीन और विस्तारित पोलीस्टाइरीन सहित कई एकल-उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं का निर्माण, आयात, भंडारण, बिक्री और उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसमें ईयरबड्स, गुब्बारे की डंडिया, प्लास्टिक झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडी, थर्माेकोल की सजावट सामग्री, प्लास्टिक की प्लेटें, गिलास, स्ट्रॉ, कटलरी, मिठाई के डिब्बे की पैकिंग फिल्में और 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले बैनर शामिल हैं।
डीएम ने थानाध्यक्षों, अंचल अधिकारियों, बीडीओ, नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों और अनुमंडल स्तर के पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि मूर्ति निर्माण और पंडाल सजावट में इन प्रतिबंधित वस्तुओं का इस्तेमाल हर हाल में रोका जाए।
-- मिट्टी, बांस और प्राकृतिक रंगों से ही बनेगी मूर्ति
मूर्ति निर्माण को लेकर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। नियमावली 2021 के अनुसार मूर्तियां पारंपरिक मिट्टी, बांस और प्राकृतिक सामग्री से ही बनाई जाएंगी। प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) और जहरीले रासायनिक रंगों का प्रयोग पूरी तरह वर्जित है। मूर्तियों की ऊंचाई 20 फीट और ऊपरी संरचना की ऊंचाई 40 फीट से अधिक नहीं होगी। पूजा सामग्री और प्लास्टिक सजावट को विसर्जन से पहले अलग किया जाएगा और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली के तहत निपटान होगा।
-- पूजा समितियों से लिया जाएगा घोषणा पत्र
जिला प्रशासन ने सभी पूजा समितियों को अनिवार्य किया है कि वे लिखित घोषणा पत्र दें, जिसमें यह उल्लेख होगा कि मूर्तियों और पंडालों के निर्माण में न तो पीओपी का इस्तेमाल हुआ है और न ही जहरीले रासायनिक रंगों का। साथ ही मूर्ति और ऊपरी ढांचे की ऊंचाई निर्धारित सीमा से अधिक नहीं है। अधिकारियों को आदेश है कि औचक निरीक्षण कर पूजा समितियों की घोषणाओं का भौतिक सत्यापन करें और उल्लंघन की स्थिति में रिपोर्ट जिला पदाधिकारी को भेजें।
-- कृत्रिम तालाबों में ही होगा विसर्जन
नियमावली के तहत इस बार मूर्तियों का विसर्जन केवल कृत्रिम तालाबों में ही होगा। बीडीओ, नगर निकाय और अनुमंडल स्तर के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि अपने-अपने क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में कृत्रिम तालाब बनवाएं और पूजा समितियों को उनसे टैग करें। भीड़-भाड़ से बचने और प्रदूषण कम करने के लिए विसर्जन से पूर्व जन-जागरूकता अभियान चलाने का आदेश भी दिया गया है।
-- ठोस कचरे के निपटान की विशेष व्यवस्था
मूर्ति विसर्जन के दौरान फूल, कपड़ा और अन्य सजावटी सामग्री जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। इन सामग्रियों को अलग एकत्र कर निर्धारित संग्रह स्थल तक पहुंचाया जाएगा। जैविक सामग्री को खाद और अन्य उपयोगों के लिए सुरक्षित किया जाएगा।निर्देश के अनुसार, मूर्ति विसर्जन के 48 घंटे के भीतर कृत्रिम तालाबों और विसर्जन स्थलों से शेष सामग्री का निपटान अनिवार्य रूप से करना होगा।
-- सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल विसर्जन पर जोर
डीएम ने स्पष्ट किया है कि पूजा समितियों द्वारा सुरक्षित एवं पर्यावरण अनुकूल मूर्ति विसर्जन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, नई दिल्ली द्वारा बनाए गए दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन कराना स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी होगी। जिला प्रशासन का कहना है कि नियमों का उल्लंघन करते पाए जाने पर पूजा समितियों और संबंधित लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।