केशव टाइम्स के अभियान का असरः गलत तरीके से हटाई गई सफाई एजेंसी मामले में शिक्षा विभाग सख्त
जिले के सरकारी विद्यालयों में साफ-सफाई के नाम पर की गई कथित मनमानी अब भारी पड़ती नजर आ रही है। केशव टाइम्स द्वारा लगातार चलाए गए अभियान और तथ्यों के साथ की गई खबरों के असर से शिक्षा विभाग को आखिरकार सख्त रुख अपनाना पड़ा है। विभाग के निदेशक (प्रशासन) मनोरंजन कुमार ने इस पूरे मामले में डीईओ को स्पष्ट और कड़े निर्देश जारी करते हुए गलत तरीके से हटाई गई एजेंसी, मनमानी से चयनित दूसरी एजेंसी और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का रास्ता साफ कर दिया है।
-- फर्स्ट आइडिया हाउसकीपिंग एजेंसी के गलत तरीके से चयन पर विभाग सख्त, विभाग ने डीईओ को दिए कार्रवाई के स्पष्ट निर्देश
केटी न्यूज/बक्सर।
जिले के सरकारी विद्यालयों में साफ-सफाई के नाम पर की गई कथित मनमानी अब भारी पड़ती नजर आ रही है। केशव टाइम्स द्वारा लगातार चलाए गए अभियान और तथ्यों के साथ की गई खबरों के असर से शिक्षा विभाग को आखिरकार सख्त रुख अपनाना पड़ा है। विभाग के निदेशक (प्रशासन) मनोरंजन कुमार ने इस पूरे मामले में डीईओ को स्पष्ट और कड़े निर्देश जारी करते हुए गलत तरीके से हटाई गई एजेंसी, मनमानी से चयनित दूसरी एजेंसी और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई का रास्ता साफ कर दिया है।दरअसल, वर्ष 2023 के अगस्त-सितंबर में शिक्षा विभाग के स्तर से जिले के सरकारी विद्यालयों में साफ-सफाई कार्य के लिए तीन एजेंसियों का चयन किया गया था।

इनमें से दो एजेंसियां कार्य करने के लिए आगे नहीं आईं, जबकि जेकेएसबी स्कील इंडिया को पांच प्रखंडों में कार्य आवंटित किया गया। एजेंसी ने नियमानुसार कार्य भी शुरू कर दिया था।इसी बीच तत्कालीन डीईओ अनिल द्विवेदी द्वारा नियमों को ताक पर रखकर तीन प्रखंडों का साफ-सफाई कार्य फर्स्ट आइडिया (या फर्स्ट इंडिया डिजिटल) हाउसकीपिंग एजेंसी को सौंप दिया गया। यह निर्णय न सिर्फ विभागीय चयन प्रक्रिया के खिलाफ था, बल्कि इसमें पारदर्शिता और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों की भी अनदेखी की गई।यहीं से मामला तूल पकड़ने लगा। केशव टाइम्स ने फर्स्ट आइडिया एजेंसी के चयन को लेकर सवाल उठाए और तथ्यों के साथ यह उजागर किया कि किस तरह विभाग से चयनित एजेंसी को हटाकर जिला स्तर से मनमानी ढंग से दूसरी एजेंसी को काम दिया गया।

यह मुद्दा धीरे-धीरे प्रशासनिक गलियारों से निकलकर राजनीतिक और जनहित का विषय बन गया।मामला दिशा की बैठक में उठा, जहां गंभीर सवाल खड़े किए गए। इसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों से जांच कराई गई, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इसी बीच सांसद सुधाकर सिंह ने भी पूरे प्रकरण को गंभीर मानते हुए जिलाधिकारी को जांच के लिए पत्र भेजा। डीएम ने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित कर मामले की विस्तृत जांच कराई।जांच में यह स्पष्ट हो गया कि 11 नवंबर 2023 को जेकेएसबी स्कील इंडिया से स्पष्टीकरण मांगा गया, जबकि उससे पहले ही 06 नवंबर 2023 को फर्स्ट आइडिया एजेंसी को सहमति पत्र जारी कर दिया गया था।

यानी पहले से ही निर्णय ले लिया गया था और बाद में औपचारिकता निभाई गई। इससे पूरी प्रक्रिया की मंशा और पारदर्शिता पर सवालिया निशान लग गया।जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने पूरे मामले में विभाग से मार्गदर्शन मांगा। अब शिक्षा विभाग ने जो निर्देश भेजे हैं, वे साफ तौर पर यह दर्शाते हैं कि केशव टाइम्स द्वारा चलाए गए अभियान का सीधा असर हुआ है। विभाग ने डीईओ को निर्देश दिया है कि मनमानी करने वाले अधिकारी को चिन्हित कर उसके विरुद्ध आरोप पत्र भेजा जाए।वहीं, जिस एजेंसी को गलत तरीके से कार्य दिया गया, उसके कार्य का मूल्यांकन किया जाए। यदि कार्य संतोषजनक पाया जाता है तो नियमानुसार भुगतान किया जा सकता है।

विभाग द्वारा चयनित एजेंसी को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के तहत अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाए और उसके बाद स्पष्ट आदेश जारी किया जाए।शिक्षा विभाग के इस रुख से यह साफ हो गया है कि अब नियमों की अनदेखी कर लिए गए फैसलों को बचाना आसान नहीं होगा। यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक जवाबदेही का उदाहरण बन रहा है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जब मीडिया जिम्मेदारी के साथ सवाल उठाता है, तो व्यवस्था को जवाब देना ही पड़ता है।कुल मिलाकर, सरकारी विद्यालयों की साफ-सफाई से जुड़ा यह मामला अब एक बड़े प्रशासनिक संदेश में बदल गया है कि मनमानी नहीं चलेगी, और गलत फैसलों पर कार्रवाई तय है। इसमें सबसे अहम भूमिका केशव टाइम्स की प्रभावी पत्रकारिता की रही, जिसने इस मुद्दे को अंजाम तक पहुंचाया।
