शीतलहर के मद्देनज़र बक्सर में फिर बढ़ी स्कूलों की छुट्टी, 27 दिसंबर तक बढ़ी आठवीं तक की छुट्टी

बक्सर जिले में लगातार गिरते तापमान और बढ़ती ठंड को देखते हुए जिला प्रशासन ने एहतियातन बड़ा कदम उठाया है। अत्यधिक ठंड और शीतलहर की स्थिति के कारण बच्चों के स्वास्थ्य एवं जीवन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की आशंका को ध्यान में रखते हुए जिला दंडाधिकारी बक्सर ने आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार जिले के सभी निजी विद्यालयों (प्री-स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्रों सहित) में कक्षा 1 से 8 तक की शैक्षणिक गतिविधियों पर अस्थायी रूप से रोक लगाई गई है।

शीतलहर के मद्देनज़र बक्सर में फिर बढ़ी स्कूलों की छुट्टी, 27 दिसंबर तक बढ़ी आठवीं तक की छुट्टी

केटी न्यूज/बक्सर 

बक्सर जिले में लगातार गिरते तापमान और बढ़ती ठंड को देखते हुए जिला प्रशासन ने एहतियातन बड़ा कदम उठाया है। अत्यधिक ठंड और शीतलहर की स्थिति के कारण बच्चों के स्वास्थ्य एवं जीवन पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की आशंका को ध्यान में रखते हुए जिला दंडाधिकारी बक्सर ने आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार जिले के सभी निजी विद्यालयों (प्री-स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्रों सहित) में कक्षा 1 से 8 तक की शैक्षणिक गतिविधियों पर अस्थायी रूप से रोक लगाई गई है।

जिला विधि प्रशाखा से निर्गत आदेश में बताया गया है कि पूर्व में जारी आदेश संख्या 333 के आलोक में मौसम की स्थिति की पुनः समीक्षा की गई। समीक्षा के दौरान पाया गया कि जिले में ठंड का प्रकोप लगातार बना हुआ है और सुबह के समय तापमान अत्यंत कम रह रहा है, जिससे छोटे बच्चों के बीमार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। इसी के मद्देनज़र भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए यह निर्णय लिया गया।

आदेश के अनुसार दिनांक 27 दिसंबर 2025 तक निजी विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई बंद रहेगी। हालांकि विद्यालय प्रबंधन को निर्देश दिया गया है कि शिक्षकों एवं प्रशासनिक कार्यों का संचालन आवश्यकता अनुसार किया जा सकता है। आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए शिक्षा विभाग, जिला जनसंपर्क कार्यालय, पुलिस प्रशासन एवं अन्य संबंधित विभागों को सूचित कर दिया गया है।

जिला प्रशासन ने अभिभावकों से अपील की है कि वे बच्चों को ठंड से बचाने के लिए विशेष सावधानी बरतें तथा अनावश्यक रूप से सुबह के समय घर से बाहर न निकलने दें। प्रशासन का यह कदम बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।