कहीं पदाधिकारियों की जांच उगाही का तो खेल नही! न सेंटर का व नाम नाही डाक्टर का हस्ताक्षर शुरू हुआ आल्ट्रासाउंड का खेल

मई माह में जिले में चल रहे अवैध आल्ट्रासाउंड के खिलाफ प्रशासन ने धावा बोला था। जिसके बाद कई सील हुए तो कई फर्जी आल्ट्रासाउंड वाले भाग खड़े हुए। परन्तु एक बार फिर इनके कारनामें शुरू हो चुके है भु्रणजांच से लेकर सभी जांच शुरू हो चुका है। सबसे बड़ी बाद बात है कि इन के रिर्पोटों में न तो सेटर का नाम है और ना ही डाक्टर का हस्ताक्षर। कहीं जांच की हौवा बना कर उगाही का खेल तो नही शुरू हुआ है। क्यों कि ये जिले के स्वास्थ्य विभाग में पुराना खेल है....................

कहीं पदाधिकारियों की जांच उगाही का तो खेल नही! न सेंटर का व नाम नाही डाक्टर का हस्ताक्षर शुरू हुआ आल्ट्रासाउंड का खेल
ऐसे जारी होता है रिर्पोट

-जिले में धड़ल्ले से हो रहा है आल्ट्रासाउंड, मरीजों का शोषण कर रहे है संचालक

- मई महीने में छापेमारी में सील हुए थे दर्जनों जांच घर, प्रशासन ने सिर्फ सील कर किया खानापूर्ति

केटी न्यूज/बक्सर

मई के आखिरी सप्ताह में डीएम के निर्देश पर जिलेभर में अल्ट्रा साउंड करने वाले जांच घरों पर छापेमारी की गई थी। इस दौरान बिना डॉक्टर या बिना मानक के संचालित होने वाले दर्जनों जांच घरों को सील किया गया था। इस कार्रवाई के बाद पैथोलॉजी सेंटर संचालकों में हड़कंप मच गया था। कई पैथोलॉजी संचालक फरार हो गए थे। लेकिन प्रशासन द्वारा सेंटरों को सील करने के बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई। लिहाजा कुछ दिन बाद से ही ये पैथोलॉजी सेंटर संचालक फिर से चोरी छिप्पे सक्रिय हो गए है।

जानकारों की मानें तो मैनेज के खेल में आल्ट्रा साउंड का धंधा पहले से भी परवान पर चढ़ गया है। जानकार बताते है कि पहले जहां एक अल्ट्रा साउंड का चार से पांच हजार रूपया लगता था वही अब संचालक 12 से 15 हजार लेकर मरीजों तथा उनके परिजनों का शोषण कर रहे है। संचालक जांच का धौंस जमा पैसे की उगाही कर रहे है। जबकि स्वास्थ्य विभाग सबकुछ जानते हुए भी मौन साधे हुए है। 

क्या सिर्फ उगाही के लिए हुई थी छापेमारी

जिलेभर में चोरी छिप्पे ही सही पैथोलॉजी सेंटरों के फिर से संचालन शुरू होने से कई सवाल खड़े हो रहे है। जानकारों का कहना है जांच के बाद मैनेज के खेल में संचालकों को वरदहस्त मिल गया है। कई पैथोलॉजी संचालक भी दबी जुबां इसे स्वीकारते है। सवाल तो ये भी है कि जब पैथोलॉजी सेंटर सील किए गए है तो उनका संचालन कैसे हो रहा है।

बता दें कि छापेमारी के दौरान प्रशासन ने डुमरांव के अराध्या आल्ट्रा साउंड को भी सील किया था। लेकिन जून महीने से ही इस पैथोलॉजी सेंटर द्वारा फिर से अल्ट्रासाउंड शुरू कर दिया गया है। इसके अलावे मां अल्ट्रा साउंड समेत डुमरांव के कई अन्य पैथोलॉजी संचालक चोरी छिप्पे अपना धंधा चला रहे है।

जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी फिर से कुकुरमुत्ते की तरह जांच घर उग आए है। सूत्रों की मानें तो ये संचालक मैनेज के खेल में न सिर्फ मरीजों का शोषण कर रहे है बल्कि कई नामी गिरामी डाक्टर भी इनके संपर्क में है तथा मोटे कमीशन के लालच में इन तक मरीजों को पहुंचा रहें है। 

क्या कहते है सीएस

सील किए गए पैथोलॉजी सेंटरों के फिर से संचालन की जानकारी नहीं मिली है। विभाग के पास हैंड का अभाव है। जल्दी ही इसकी जांच के लिए एक टीम बनाई जाएगी। - डा सुरेश चंद्र सिन्हा, सीएस, बक्सर