अपने मर्यादा से, धर्मों से एवं आचरण से हटकर कर्म करना भी पाप है-जीयर स्वामी
केटी न्यूज। नावानगर
पाप तो पाप है ही। साथ ही अपने मर्यादा से, धर्मों से एवं आचरण से हटकर कर्म करना भी पाप है। ये बातें रुपसागर में आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दौरान श्रीलक्ष्मी प्रपत्र जीयर स्वामी ने प्रवचन के दौरान कहा। उन्होंने कहा कि मनुष्य को पाप करने से बचना चाहिए। न पाप करना चाहिए न देखना चाहिए और ना ही पाप करने वाले का सहयोग या समर्थन करना चाहिए। पापी की सहायता करना भी पाप ही है। इससे दोष लगता है। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े महापुरुष भी गलत संगत में पड़कर दूषित हो जाते हैं। भीष्म पितामह जैसे महापुरुष भी दुष्ट दुर्याेधन की संगत में आने व उसका अन्न खाने के चलते दूषित हो चुके थे। जिसके कारण उनकों कष्ट झेलना पड़ा।
पराक्रमी महापुरुष का भी मन दुष्ट व्यक्ति के साथ रहने से दूषित हो जाता है। अपने फायदे के लिए किसी दूसरे को कष्ट नहीं देना चाहिए। इसके पूर्व इस महायज्ञ में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप का परिक्रमा किया। साथ ही यज्ञ मंडप से वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा क्षेत्र गुंजवान हो रहा है। यज्ञ समिति के सदस्य मनोज कुमार ने बताया कि सात दिवसीय श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ में प्रतिदिन संध्या 5 बजे से लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी की प्रवचन होगी। पहले दिन श्रोताओं की अच्छी खासी भीड़ जुटी हुई थी।