प्रसव पूर्व जांच से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का एनीमिया से बचाव संभव : सिविल सर्जन
- सदर प्रखंड स्थित यूपीचीएच में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के साथ मिशन इंद्रधनुष के दूसरे चक्र की हुई शुरुआत
- गर्भवतियों को स्वास्थ्य जॉच, पोषण और नियमित टीकाकरण की दी गई जानकारी
केटी न्यूज/बक्सर
जिले में सोमवार को सभी सरकारी अस्पतालों और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान अंतर्गत गर्भवतियों की जांच के लिए शिविर के साथ मिशन इंद्रधनुष 5.0 के दूसरे चक्र का उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत जिला मुख्यालय स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में सिविल सर्जन डॉ. सुरेश चंद सिन्हा, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. आर.के. सिंह और राज्य स्वास्थ्य समिति के प्रतिनिधि तुषारकांत उपाध्याय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। जिसके बाद गर्भवती लाभार्थियों के बीच अल्पाहार का वितरण करने के साथ साथ उनकी प्रसव पूर्व जांच के शिविर भी लगाया गया। जिसमें 54 महिलाओं की जांच की गई।
कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ. सिन्हा ने गर्भवती लाभार्थियों को बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में आने वाली सबसे बड़ी समस्या एनीमिया है। जिसके कारण न केवल गर्भवती महिलाओं को बल्कि उनके गर्भ में पल रहे बच्चों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, कई मामलों में एनीमिया के कारण प्रसव के दौरान जटिलतायें भी बढ़ जाती है। जिसके कारण अधिक रक्त स्राव से गर्भवतियों की मौत की भी संभावना होती है। इसलिये गर्भावस्था में बेहतर शिशु विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाली रक्त स्राव प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून होना आवश्यक होता है। एनीमिया प्रबंधन के लिए प्रसव पूर्व जांच के प्रति महिलाओं की जागरूकता ना सिर्फ एनीमिया रोकथाम में सहायक होती है बल्कि सुरक्षित मातृत्व की आधारशिला भी तैयार करती है।
प्रसव पूर्व जांच की भूमिका महत्वपूर्ण :
डीसीएम हिमांशु सिंह ने बताया, गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व जांच की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान कम से कम चार बार एएनसी जांच करानी चाहिए। इससे प्रसव के पूर्व या प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताओं को बहुत हद तक कम किया जा सकता है। वहीं, कई मामलों में मातृ मृत्यु की संभावनाओं को भी खत्म किया जा सकता है। उन्होंने बताया, गर्भावस्था और प्रसव के दौरान होने वाली जटिलताएं मातृ मृत्यु के लिए अधिक जिम्मेदार होती हैं। इसके अलावा महिलाओं की मृत्यु के पीछे कई कारण भी हो सकते हैं। महिलाएं अगर मातृ मृत्यु के कारणों के संबंध में सही समय पर जानकारी मिल जाए, तो उसका समुचित उपचार हो जाएगा जिससे मातृ मृत्यु की दर में कमी लाई जा सकती है। मातृ मृत्यु को रोकने के लिए उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान की जाती है। इसके लिए हर माह की 9वीं तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं का किया जाता है।
गर्भवती महिलाओं और बच्चों का जरूरी टीका लेना अनिवार्य :
वहीं, डीआईओ डॉ. सिंह ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के साथ 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को 12 जानलेवा बीमारी से बचने के लिए सोमवार से मिशन इंद्रधनुष 5.0 अभियान के दूसरे चक्र की शुरुआत की गई। अभियान का पहला चरण 11 सितंबर से 17 सितंबर तक चलाया गया था। अभियान के दौरान छूटे हुए बच्चों के साथ साथ गर्भवती महिलाओं को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए अभियान का दूसरा चरण शुरू 14 अक्टूबर तक चलेगा। अभियान के माध्यम से टीका से वंचित हुए बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को टीकाकृत किया जायेगा। उन्होंने बताया कि मिशन इंद्रधनुष अभियान के तहत नियमित टीका से वंचित 5 वर्ष से कम बच्चों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं की पहचान करके टीकाकरण किया जाता है। इस अभियान के लिए पहले ही ऐसी गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों की लाइन लिस्टिंग कर ली गई है। जिनको इस चक्र में टीकाकृत किया जायेगा। वहीं, अभियान को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। टीकाकरण के लिए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को भी प्रशिक्षित किया जा चुका है। ताकि, अभियान के दौरान सभी लाभार्थियों को टीकाकृत किया जा सके।
मौके पर डब्ल्यूएचओ के एसएमसी डॉ. फैजान अनवर, यूनिसेफ के एसएमसी कुमुद मिश्रा, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. स्वाति भारती, बीएचएम प्रिंस कुमार सिंह, पीरामल स्वास्थ्य के प्रतिनिधि, जीएनएम मनीषा कुमारी, लैब टेक्नीशियन पप्पू कुमार व अन्य लोग मौजूद रहे।