चिरस्मणीय रहेगा महारानी अहिल्याबाई होलकर का कृतित्व ओम ज्योति भागवत

मुगलकाल में शासन व्यवस्था के नाम पर घोर अत्याचार के बीच उन विकट परिस्थितियों में महारानी अहिल्याबाई होलकर ने नारी शक्ति का उपयोग

चिरस्मणीय रहेगा महारानी अहिल्याबाई होलकर का कृतित्व  ओम ज्योति भागवत

- महारानी के जन्मशती के मौके पर सुमित्रा महिला कॉलेज में आयोजित हुआ संगोष्ठी, राष्ट्र सेविका समिति ने आयोजित किया था कार्यक्रम

केटी न्यूज/डुमरांव

मुगलकाल में शासन व्यवस्था के नाम पर घोर अत्याचार के बीच उन विकट परिस्थितियों में महारानी अहिल्याबाई होलकर ने नारी शक्ति का उपयोग कर न्याय दिलाने का काम किया जो प्रशंसनीय है और अहिल्याबाई होलकर का कृतित्व चिरस्मरणीय रहेगा। उक्त बातें राष्ट्र सेविका समिति दक्षिण बिहार प्रांत की संचालिका डॉ नमिता कुमारी ने स्थानीय सुमित्रा महिला महाविद्यालय के सभागार में आयोजित अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी जन्मशती के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहीं। इस अवसर पर नगर की महिलाएं,महाविद्यालय की

छात्राएं सहित सुमित्रा महिला महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. शोभा सिंह, प्रो. किरण सिंह, प्रांत सह संपर्क प्रमुख उर्मिला कुमारी, विभाग कार्यवाहिका ओम ज्योति भगत, मीनाक्षी कुमारी, जिला संपर्क प्रमुख बबीता सोनी, शिरातों देवी, प्रमिला पांडेय, सीमा मिश्रा, काजल, धनवंती, सुनीता, पूनम देवी सहित सैकड़ों छात्राएं मौजूद थी। मंच संचालन वंदना भगत ने किया संगोष्ठी के बाद महाविद्यालय परिसर में पौधरोपण किया गया। डा नमिता ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि अहिल्याबाई होलकर ने अपने राज्य की सीमा से बाहर जाकर सम्पूर्ण भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों का पुनर्निर्माण, सहित मानव सेवा के लिए अनेक कार्य की जिसका प्रमाण आज भी मौजूद है। 

महाराष्ट्र में हुआ था जन्म

जबकि अपने संबोधन में राष्ट्र सेविका समिति की ओम ज्योति भगत ने बताया कि अहिल्याबाई का जन्म महाराष्ट्र के चौड़ी गांव में हुआ था, जो अहमदनगर जिला में पड़ता है। जिसे आज अहिल्यानगर के नाम से जाना जाता है। उनके पिता मानकों जी  शिंदे थे जो क्षेत्र के पाटिल थे। उनका परिवार सम्मानित मराठा परिवार था तथा 10-12 वर्ष की आयु में ही उनकी शादी हो गई थी।

शादी के बाद मात्र 29 वर्ष की आयु में महारानी विधवा हो गई। जिसके बाद मालवा के शासन का बागडोर संभालना पड़ा। उन्होंने महेश्वर को राजधानी बनाकर 31 मई 1725 से 13 अगस्त 1795 तक शासन किया। अपने शासन काल में आत्मप्रतिष्ठा के झुठे मोह का त्याग कर सदा न्याय करने का आजीवन प्रयत्न करती रही। उन्होंने अपने राज्य से बाहर के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों ,घाट, कुओं, सड़क मार्ग, भूखों के लिए अन्न क्षेत्र, प्याऊ, मंदिरों में विद्वानों की नियुक्ति सहित कई अन्य सेवा कार्य की जो उल्लेखनीय है। काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण भी उनके द्वारा करवाया गया था।

इनके द्वारा किए गए कार्यों से जनता इतनी प्रसन्न हो गई थी कि महारानी अहिल्याबाई को देवी समझने लगी।उन्होंने कई कार्य किए जिसमे महिला शिक्षा पर खासा जोर दिया तमाम परेशानियों के बाद भी नारी शक्ति का उपयोग कर शासन व्यवस्था दुरुस्त कर न्याय दिलाने का काम किया जो प्रशंसनीय है।आज भी महारानी अहिल्याबाई होलकर महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है ।

अहिल्याबाई होलकर त्रि शताब्दी जन्मशती के अवसर पर नगर के महारानी उषा रानी बालिका उच्च विद्यालय के परिसर में भी संगोष्ठी आयोजित किया गया।