हरियाणा फार्म के पशु पालन विभाग में मैत्री व पशुधन सहायक को किया जाएगा प्रशिक्षित

हरियाणा फार्म में पशुपालकों को प्रशिक्षित किया जाता है, जो काफी दिनों से बंद है। हलांकि क्षेत्र में बीमार पशुओ के इलाज के लिये चिकित्सक जाते हैं। बुधवार को बहुत दिनों के बाद किसी निदेशक रैंक के अधिकारी ने दौरा किया। पशुपालन विभाग निदेशक नवदीप शुक्ला ने तीन घंटे तक बचे 75 एकड़ जमीन में क्या हो रहा है,

हरियाणा फार्म के पशु पालन विभाग में मैत्री व पशुधन सहायक को किया जाएगा प्रशिक्षित

पशुपालन विभाग के निदेशक ने हरियाणा फाम का किया निरीक्षण

केटी न्यूज/डुमरांव 

हरियाणा फार्म में पशुपालकों को प्रशिक्षित किया जाता है, जो काफी दिनों से बंद है। हलांकि क्षेत्र में बीमार पशुओ के इलाज के लिये चिकित्सक जाते हैं। बुधवार को बहुत दिनों के बाद किसी निदेशक रैंक के अधिकारी ने दौरा किया। पशुपालन विभाग निदेशक नवदीप शुक्ला ने तीन घंटे तक बचे 75 एकड़ जमीन में क्या हो रहा है,

निरीक्षण करते हएु देखा और समझा। मालूम हो कि पशुपालन विभाग के पास कुल 421 एकड़ जमीन थी। इसके ही दो सौ एकड़ की जमीन पर बीएमपी-4 का मिला हुआ है। फिर एक सौ एकड़ जमीन पर मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल के साथ ही नर्सिंग प्रशिक्षण महाविद्यालय का भवन बन गया है। पशुपालन विभाग के पास अब मात्र 75 एकड़ जमीन ही बची हुई है।

इस जमीन पर अभी पशुपालन विभाग कोई कार्यक्रम नहीं चला रहा है। बुधवार को पशुपालन विभाग के निदेशक नवदीप शुक्ला ने निरीक्षण किया। उन्होंने सेड में रह रहे जानवरों को भी देखा और स्टाफ से बात की। इस दौरान जनवरों विशेष ध्यान देने की बात कही। क्षेत्र का भ्रमण कर पशुपालन विभाग के अधिकारियों से बात की। उन्होंने वर्तमान समय में पशुपालनकों के लिये जो योजनाएं चल रही हैं

और क्षेत्र में भ्रमण कर बीमार पशुओं का इलाज करने के विषय में भी जानकारी ली। उन्होंने सभी अधिकारियों और सहायकों की क्लास लगाते हुए कहा की क्षेत्र में कहीं भी पशु बीमार पड़ते हैं, तो उनाक इलाज करने आपको जाना है। अब तो वाहन भी उपलब्ध हो गए हैं,

ईसलिये कोई परेशानी नहीं होगी। फिर कहा की क्षेत्र के पशु कैसे स्वस्थ्य रहे, उनका रख-रखाव कैसे हो इसकी सारी जानकारी पशुपालकों को देना है, उसके लिये समय-समय पर पशुपलकों को प्रशिक्षित भी करना है। उन्होंने कहा की शीघ्र ही पशुधन सहायक और मैत्री का प्रशिक्षण शुरू किया जाएगा। जो जमीन उपलब्ध है, उसका पशुधन के लिये उपयोग करना है,

बंजर नहीं छोड़ना है। निदेशक ने दो-तीन घंटा पूरे क्षेत्र के घुमने और स्टाफों के साथ बातचित में बिताया। उनके आने से स्टाफों में खलबली मची रही, जाने के बाद उन्होंने राहत की सांस लिया।