पुलिस ने दिखाई असंवेदनशीलता, एक माह बाद पीड़ित बालक को कोर्ट के समक्ष बयान दर्ज
पॉक्सो एक्ट की आरोपी अधीक्षिका को पुलिस ने गिरफ्तार करने का नहीं किया प्रयास
केटी न्यूज/बक्सर
पुलिस केवल सामर्थवान व बलशाली के साथ खड़ी रहती है या कमजोर बेसहारा के साथ। इसका जीताजागता उदाहरण बक्सर पुलिस की असंवेदनशीलता से दिखाई पड़ता है। पुलिस कप्तान के आदेश को भी दरकिनार करने में पीछे नहीं हट रही है। विदित हो कि अधीक्षिका पर दिव्यांग बालकों के प्राईवेट पार्ट में मिर्च लगाने का बालगृह में रहने वाले बच्चों ने आरोप लगा था।
तत्कालीन अध्यक्ष मदन सिंह ने इस मामले की जांच कराने की गुहार डीएम अंशुल अग्रवाल से लगायी थी। डीएम ने तत्काल डीडीसी महेंद्र पाल की अध्यक्षता में टीम भी गठित कर दी थी। परंतु एक माह तक कोई जांच नहीं हुआ। बालगृह में लगे सीसीटीवी कैमरा तक को नहीं देखा गया। सूत्रों की मानें तो इस मामले की लीपापोती का हर संभव प्रयास किया था।
मामला प्रकाश में आने के बाद बक्सर एसपी मनिष कुमार ने मामले की जांच करायी। मामला सत्य पाये जाने के बाद टाउन थाना में पाक्सो सहित अन्य धाराओं में अधीक्षिका के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। एसपी के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज तो हुई। परंतु अधीक्षिका की गिरफ्तारी के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। वहीं पुलिस ने एक माह तक पीड़ित दिव्यांग बालक का माननीय कोर्ट में मजिस्ट्रेट के
समक्ष बयान तक दर्ज नहीं कराया। एक माह बाद पुलिस ने कोर्ट के समक्ष दिव्यांग बालक का धारा-164 का बयान दर्ज कराया। वहीं इस संबंध में केस की अनुसंधानकर्ता एसआई ज्योति कुमारी से पूछे जाने पर अपना बचाव करते हुए कहा कि वह छुट्टी पर थी। इस कारण प्रक्रिया में विलंब हुआ है।
वह अधीक्षिका की गिरफ्तारी का प्रयास करेंगी। वहीं अधिकारिक सूत्रों की मानें तो ज्योति कुमारी महज चार दिन की छुट्टी पर थी। सूत्रों की मानें तो अधीक्षिका रेवती कुमारी पर कई बड़े अधिकारियों का हाथ था। यदि अधीक्षिका की गिरफ्तारी करते हुए सही तरीके से अनुसंधान किया जाएगा। तो कई अधिकारियों के नाम खुल कर सामने आ सकते है।
जो इस संवेदनशील मामले का दबाना चाह रहे है। इस संबंध में सदर डीएसपी धीरज कुमार ने बताया कि इस मामले में कई लोगों का बयान धारा 164 क तहत दिलवाना है। बारी बारी से सबका बयान दिलवाया जा रहा है। दोषी कोई भी होगा तो उसे सजा जरूर मिलेगी।