प्रतिभा का परचम: बक्सर की गरिमा बनी यूपीएससी की सेेकेंड टॉपर, देश भर में बक्सर का बढ़ाया मान
- पिता के सपनों को साकार करने के लिए कर रही थी यूपीएसएसी की तैयारी
- 2015 में पिता की मौत व वैश्विक महामारी कोरोना की चुनौतियों के बीच मां की प्रेरणा बनी मजबूत संबल
केटी न्यूज/बक्सर
परिंदों को तालीम नहीं दी जाती है उड़ानों की, वे खुद ही छू लेते है बुलंदियां आसमानों की..... इस उक्ति को चरितार्थ कर दिखाई है बक्सर की गरिमा लोहियां ने। कम उम्र में ही गरिमा ने वो कीर्तिमान बना दिया है जिसे आज तक जिले के किसी होनहार नें नहीं बनाया था। बता दें कि बक्सर बंगला घाट निवासी स्व मनोज लोहिया व सुनीता की बेटी गरिमा ने देश की सर्वोच्च यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया बेसिस पर सेकेंड रैंक लाई है।
उसके प्रतिभा के इस परचम से पूरा बक्सर आह्लादित हो उठा है। रिजल्ट जारी होने के साथ ही उसके घर बधाई देनें वालों का तांता लग गया है। उसके घर उत्सव जैसा माहौल हो गया है। बता दें कि गरिमा को यह सफलता यूं ही नहीं मिली है। मैट्रिक परीक्षा के बाद ही उसके पिता की मौत हो गई थी। पिता का सपना था कि बेटी यूपीएससी पास कर आईएसएस ऑफिसर बने।
पिता के सपनों को पूरा करने के लिए मां उसकी मजबूत संबल बन गई थी। इसी बीच वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते देशभर में लॉक डाउन लग गया था तथा सभी कोचिंग व कॉलेज बंद हो गए थे। तब गरिमा यूपीएससी की तैयारी के तहत केन्द्रीय राजधानी नई दिल्ली में थी। कोचिंग बंद होने तथा लांक डाउन के कारण मजबूर हो वापस बक्सर आना पड़ा। यहां से उसकी मां उसके लिए प्रेरणास्त्रोत बनी। गरिमा ने यूट्यूब तथा अन्य ऑनलाईन माध्यमों से अपनी तैयारी जारी रखी। जिसका परिणाम अब सबके सामने है।
बक्सर से हुई थी मैट्रिक तक की परीक्षा
तीन भाई बहनों में दूसरे नंबर पर आने वाली गरिमा बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि की थी। वर्ष 2015 में बक्सर के प्रतिष्ठित वुड स्टॉक स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद वह 2017 में सनबीम, भगवानपुर से इंटरमीडिएट तथा किरोड़ीमल कॉलेज दिल्ली से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
2015 में हुई थी पिता की मृत्यु
गरिमा ने बताया कि उसके पिता उससे आईएएस ऑफिसर बनाना चाहते थे। लेकिन 2015 में उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद लगा कि अब आगे की पढ़ाई में मुश्किलें आने वाली हैं। लेकिन मेरी मां ने मुझे हौसला दिया और पिता के सपनें को पूरा करने के लिए मुझे प्रेरित किया। फिर लॉक डाउन के दौरान भी उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। लेकिन एक बार फिर से मां की संबल काम आई तथा घर पर रहकर ऑन लाईन पढ़ाई के जरिए अपनी तैयारी जारी रखी। गरिमा ने अपनी सफलता का श्रेय मां सुनीता तथा पूरे परिवार को दिया है। वही उन्होंने प्रतियोगी छात्रों से शुरूआती विफलता से घबड़ाने की वजाए और मजबूत तैयारी करने की सीख दी है। गरिमा की सफलता की चर्चा बक्सर में पूरे दिन होते रही।