डेंगू के आशंका से भयभीत है डुमरांव वासी, बारिश के बाद मच्छरों का बढ़ा प्रकोप
फॉगिंग से दवा छिड़काव बंद, हर वार्ड में मच्छरों से परेशान है लोग
केटी न्यज/डुमरांव
मानसूनी बारिश के कारण जलजनित रोगों की संभावना प्रबल हो गयी है। तापमान में गिरावट से मौसम मच्छरों के अनुकूल भी हो गया। बढ़े मच्छरों के प्रकोप से लोगों की मुश्किलें बढ़ गयी है। इसके डंक से बचने के लिए शहरवासी दिन में भी मशक्कत कर रहे है। इस माह में नगर पर्षद द्वारा मच्छरमार दवा का छिड़काव नही कराया गया। मच्छरों के बढ़ते डंक के कारण डेंगू जैसे रोगों की फैलने की आशंका बढ़ गयी है। शहरवासी भयभीत है। इसके चपेट में आने के बाद इलाज में धन के साथ-साथ जान भी गंवाने के डर बना रहता है। पिछले वर्ष की चर्चा करें तो मच्छरजनित बीमारियों की चपेट में आकर शहर के दर्जनों लोग प्रभावित हुए थे और प्राइवेट डॉक्टरों के इलाज के बाद पटना तक की भी दौड़ लगायी थी।
बताया जाता है कि नालियों में गाद और गंदगी के कारण मच्छरों की संख्या में इजाफा हो रहा है। अगर नगर पर्षद प्रशासन द्वारा फॉगिंग मशीन से दवा छिड़काव के साथ-साथ नालियों के गंदे पानी मे ब्लीचिंग, चुना आदि का छिड़काव कराता तो खतरनाक एडिस मच्छरों का लावा नष्ट होते है और मच्छरों के प्रकोप से लोगों को राहत मिलता।
जानकारों की माने तो डेंगू बरसात के मौसम यानी जून-जुलाई से अक्टूबर तक सबसे ज्यादा फैलता है। इन मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती है। इन महीनों में नप प्रशासन द्वारा जमीनी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाये गये तो मच्छरों के पनपने का सिलसिला तेजी से बढ़ेगा।
बरसात के मौसम में बरते सावधानी :
डॉ अजय ने बताया कि घरेलू स्तर पर सावधानी बरतने से भी डेंगू को पांव पसारने से रोका जा सकता है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि इन मौसमों में सावधानी बरतें और घर के आसपास पानी को नहीं जमने दे। रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। डेंगू के मच्छर दिन में अधिक काटते है इसके लिए विशेष तौर पर सतर्क रहें। घर में कूलर के पानी को बार-बार बदलते रहे।
इन लक्षणों से पहचाने डेंगू :
- अत्याधिक बुखार व सिर दर्द का होना
- सामान्य से अधिक थकान व चक्कर आना
- पेट, आंख तथा पीठ में दर्द होना
- भूख का नही लगना
- उल्टी एवं अधिक घबराहट होना
- शरीर पर लाल रंग के निशान बनना