जांच का खेल, जिस डाक्टर के नाम पर चल रहा था अस्पताल उन्हें भनक तक नहीं, चिकित्सा पदाधिकारी ने कर दी पुष्टि

जांच का खेल, जिस डाक्टर के नाम पर चल रहा था अस्पताल उन्हें भनक तक नहीं, चिकित्सा पदाधिकारी ने कर दी पुष्टि

मामला डुमरांव के संतोषी अस्पताल का, चिकित्सा पदाधिकारी के जांच पर उठ रहे है सवाल

केटी न्यूज/डुमरांव

जिलेभर में कुकुरमुते की तरह संचालित हो रहे अधिकांष निजी अस्पताल स्वास्थ विभाग के मानकों पर नहीं बल्कि विभागीय कृपा पर संचालित हो रहे है। इन अस्पतालों के पास न तो डाक्टर है और न ही प्रशिक्षित नर्स। बावजूद ये धड़ल्ले से न सिर्फ मरीजों का इलाज कर रहे है बल्कि आपरेशन तक कर दें रहे है। सेटिंग के खेल में फर्जी तरीके से रिटायर्ड डाक्टरों का

नाम अपने बोर्ड पर लगा दें रहे हैं जबकि जिस डाक्टर के नाम से अस्पताल संचालित होता है उन्हें इसकी भनक तक नहीं लग पा रही है। डुमरांव में एक ऐसे ही मामला का खुलासा आरटीआई से हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता हरेकृष्ण सिंह डुमरांव के टिचर टेनिंग स्कूल के पास संचालित हो रहे संतोषी

अस्पताल के संबंध में जब सूचना के अधिकार अधिनिय के तहत जानकारी मांगी थी तो जबाव मिला था कि यह अस्पताल रिटायर्ड डाक्टर द्वारिका प्रसाद की देख रेख मे संचालित हो रहा है। यही नहीं बल्कि चिकित्सा पदाधिकारी डा आरबी प्रसाद द्वारा 8 अक्टूबर को ही अपना जांच रिपोर्ट सौंपा गया, जिसमें बताया गया

कि उक्त अस्पताल का संचालन डा द्वारिका प्रसाद के देखरेख में हो रहा है। उन्होंने जांच रिपोर्ट में प्रमाण के तौर पर डा द्वारिका प्रसाद के रजिस्टेशन नंबर तथा उनके सर्टिफिकेट की कॉपी भी संलग्न की। लेकिन दूसरी तरफ डा द्वारिका प्रसाद ने इस अस्पताल के संचालन से न सिर्फ अनभिज्ञता जताई बल्कि आरटीआई कार्यकता हरेकृष्ण, बक्सर डीएम तथा सीएस को पत्र लिख यह जानकारी दी है

कि वे किसी संतोषी अस्पताल को नहीं जानते है और न ही उनके जानकारी में इस अस्पताल का संचालन हो रहा है। खास यह कि चिकित्सा पदाधिकारी के जांच रिपोर्ट के एक सप्ताह बाद उन्होंन डीएम को आवेदन दे अस्पताल संचालन से पल्ला झाड़ा हैं। अब सवाल उठता है कि सही कौन है

उनके नाम पर अस्पताल संचालन करने वाले, जांच करने वाले चिकित्सा पदाधिकारी या फिर डा द्वारिका प्रसाद। वही सवाल तो ये भी है कि यदि फर्जी तरीके से उनके सर्टिफिकेट का उपयोग इस अस्पताल संचालन के लिए हुआ है तो विभाग या प्रशासन द्वारा अभी तक दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई है। आरटीआई कार्यकर्ता हरेकृष्ण ने बताया कि संतोषी अस्पताल के अलावे

कई फर्जी अस्पतालों का संचालन हो रहा है। जिनके संबंध में उन्होंने आरटीआई से जानकार हासिल की है। लेकिन विभाग उनपर कार्रवाई के बदले मेहरबान बना हुआ है। फर्जी अस्पतालों के संचालन में विभाग के मैनेज के खेल को ही बड़ा जिम्मेवार बताया जा रहा है। गौरतलब है कि हाल ही में मुख्यमंत्री के निर्देश पर पटना से आई जांच टीम के सामने भी इस अस्पताल के संचालन का मुद्दा उठा था। अब देखना है कि वह क्या कार्रवाई कर रही है।