आजाद पासवान के समर्थकों ने ज्योति चौक के पास सड़क पर शव रख किया सड़क जाम
कुख्यात नक्सली सह सुभासपा नेता आजाद पासवान की मौत के बाद उसके समर्थकों ने जमकर हंगामा किया। बुधवार को उसका अंतिम संस्कार किया गया। इसके पहले ज्योति चौक पर शव रख समर्थकों ने सड़क जाम कर दिया तथा पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
- हत्यारों की गिरफ्तारी व परिजनों को नौकरी देने की मांग कर रहे थे समर्थक, पुलिस प्रशासन के खिलाफ की नारेबाजी
केटी न्यूज/बक्सर
कुख्यात नक्सली सह सुभासपा नेता आजाद पासवान की मौत के बाद उसके समर्थकों ने जमकर हंगामा किया। बुधवार को उसका अंतिम संस्कार किया गया। इसके पहले ज्योति चौक पर शव रख समर्थकों ने सड़क जाम कर दिया तथा पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
आक्रोशित समर्थक आजाद के हत्यारों को अविलंब गिरफ्तार करने, उसके परिजनों को सरकारी नौकरी देने समेत छह सूत्री मांग कर रहे थे तथा घटना स्थल पर एसपी मनीष कुमार को बुलाने की मांग पर अड़े थे। सड़क जाम से शहर की टैªफिक व्यवस्था चरमरा गई थी। सड़क जाम किए जाने की सूचना मिलते ही सदर एसडीओ धीरेन्द्र कुमार मिश्र, डीएसपी धीरज कुमार, नगर थानाध्यक्ष संजय कुमार गुप्ता के नेतृत्व में भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर पहुची।
पुलिस और प्रशासनिक टीम ने आजाद के समर्थकों को समझाने का प्रयास किया। इस दौरान समर्थक घंटो एसपी समेत वरीय अधिकारियों को बुलाने की मांग पर अड़े थे। समर्थकों का कहना था कि घटना के सात दिन बाद भी आजाद पासवान पर हमला करने वाले नामजद आरोपित गिरफ्तार नहीं हो सके है।
बाद में एसडीओ तथा डीएसपी ने उन्हें समझा बुझाकर शांत कराया। इस दौरान एसडीओ ने पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को एसपी से मिलने का समय निर्धारित कराया तथा प्रशासनिक स्तर से भी उनके मांगों को पूरा करवाने का आश्वासन दिया। इसके बाद आजाद के समर्थक सड़क जाम हटा शव को लेकर अंतिम संस्कार करने गए।
सात अगस्त को मारी गई थी गोली
बता दें कि सिकरौल थाना क्षेत्र के परसागंडा निवासी आजाद पासवान की गिनती हार्डकोर नक्सली के रूप में होती थी। वह ओमप्रकाश राजभर के सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के बिहार का दलित प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष भी था। सात अगस्त को वासुदेवा ओपी क्षेत्र के आथर गांव से पश्चिम अपराधियों ने उसे घेरकर गोली मार दिया था।
आजाद को चार गोली लगी थी तथा मंगलवार को पटना के रूबन अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस बुधवार को उसका अंतिम संस्कार किया गया। सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन के करने वालों में परसागंडा के ग्रामीणों के साथ ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी तथा भीम आर्मी के कार्यकर्ता शामिल थे।
इलाके में हिंसा प्रतिहिंसा की आशंका से सहमें है ग्रामीण
आजाद की मौत के बाद डुमरांव अनुमंडल के दक्षिणी इलाके में हिंसा प्रतिहिंसा की आशंका से आस पास के इलाकों के ग्रामीण सहमें हुए है। मंगलवार की शाम से ही इलाके में शांति छाई है। लोगों को इस बात का डर है कि कही आजाद समर्थक हिंसक रूख न अख्तियार करें। जिस कारण इलाके की शांति भंग हो सकती है।
बता दें कि पिछले एक दशक से यह इलाका काफी शांत था। सिर्फ 2016 मंे बसपा नेता प्रदीप कुमार उर्फ मिल्लू चौधरी की हत्या के अलावे कोई बड़ी घटना नहीं हुई थी। नक्सल गतिविधिया भी कम हो गई थी। लेकिन आजाद के गोलीबारी में घायल होने के बाद से ही उसके समर्थक काफी आक्रोशित है तथा पुलिस प्रशासन के प्रति आक्रामक रूख अख्तियार किए है
जबकि उसकी पत्नी द्वारा नामजद लोगों पर एफआईआर भी दर्ज कराया गया है। यही कारण है कि लोगों में इस बात का भय बना हुआ है कि कही फिर से हिंसा का दौर शुरू न हो जाए। आजाद के शव यात्रा में इसकी झलक देखने को भी मिली। हालांकि, पुलिस स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है तथा किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।