अमसारी के कामगर की शारजहा में संदेहास्पद मौत, एक सप्ताह बाद भी शव नहीं भेज रहे कंपनी वाले

अमसारी के कामगर की शारजहा में संदेहास्पद मौत, एक सप्ताह बाद भी शव नहीं भेज रहे कंपनी वाले

- झांसा दे इंप्लायमेंट वीजा के जगह टुरिस्ट वीजा पर विदेश ले गया था दलाल

- निर्धारित मजदूरी नहीं मिलने पर घर आने की फिराक था मृतक

केटी न्यूज/चौगाईं

मुरार थाना क्षेत्र के अमसारी अनुसूचित जाति बस्ती के एक कामगर की संदेहास्पद मौत एक सप्ताह पहले दुबई के शारजहा में हो गई है। लेकिन एक सप्ताह बाद भी कंपनी वाले शव भेजने में आनाकानी कर रहे है। जवान बेटे के मौत के सदमें के साथ परिजनों को अब उसके अंतिम दर्शन के लिए भी तरसना पड़ रहा है।

इधर मृतके पिता ने आरोप लगाया है कि उसे विदेश भेजने वाले एजेंट ने इंप्लायमेंट वीजा की जगह उसे टुरिस्ट वीजा पर दुबई के शारजहा ले गया था। मृतक अमसारी अनुसूचित जाति बस्ती के धनदेव राम का 30 वर्षीय पुत्र हरेन्द्र राम है। उसकी मौत की खबर के बाद से ही पिता धनदेव के साथ ही गर्भवती

पत्नी चंदा देवी तथा मासूम बच्चों का रो रोकर बुरा हाल है। परिजनों को सबसे अधिक दुख इस बात को ले हो रहा है कि मरने के बाद भी उसका अंतिम दर्शन नहीं हो पा रहा है। परिजनों ने विदेश भेजने वाले एजेंट पर भी धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। 

12 मार्च को गया था दुबई, 25 जुलाई को हुई थी पिता से अंतिम बात

जानकारी के अनुसार हरेन्द्र पिछले 12 मार्च को शारजहा गया था तब उसे विदेश भेजने वाले एजेंट ने बताया था कि उसे आसान काम दिलवाया गया है तथा एक हजार दिरहम प्रतिमाह मिलेगा। लेकिन वहां जाने पर भीषण गर्मी व धूप में उससे हाड़तोड़ मेहनत करवाया जा रहा था और तय मजदूरी से आधा मात्र 500 दिरहम महीनामिल रहा था। 25 मई को उसने अपने पिता से बात कर आपबीती

सुनाई और घर आने की इच्छा जताई थी। तब उसने यह भी बताया था कि उसे टुरिस्ट वीजा पर भेजा गया था। धनदेव ने रोते हुए बताया कि तब मैने उसे वापस लौट आने की बात कही थी। लेकिन 29 जुलाई को कंपनी वालों ने फोन कर बताया कि आपके बेटे की मौत हो गई है। लेकिन उसकी मौत कैसे हुई इसकी जानकारी भी नहीं दी तथा वहां से शव भेजने में भी आनाकानी कर रहे है।

अब किसके सहारे होगा परिवार का भरण पोषण

बता दें कि मृतक को एक पुत्र और पुत्री है, जबकि उसकी पत्नी गर्भवती भी है। पिता ने बताया कि बेटी काजल मात्र पांच साल की है, जबकि बेटा भोला अभी तीन साल का है। ऐसे में इस घटना ने मासूमों के सर से बाप का छाया छिन लिया है। यही कारण है कि उसकी पत्नी विलख

कर कह रही थी कि अब किसके सहारे जिंदगी की नैया पार लगेगी। कहां तो हरेन्द्र हसीन सपने लेकर विदेश गया था और कहां अब उसके शव के दर्शन भी नहीं हो पा रहे है। इस संबंध में परिजनों ने अब मीडिया से गुहार लगाई है कि किसी तरह उनके बेटे का शव वहां से आ जाए।