तीन माह पहले डाला गया था सफाई का टेंडर, टालमटोल कर रहा नप
- टेंडर फाइनल नहीं होने से संवेदकों के बीच बढ़ा आक्रोश
केटी न्यूज/डुमरांव
तकनीकी बीड खोलने के बाद जांच के नाम पर सफाई एनजीओ को नगर परिषद लगातार अवधि विस्तार दे रहा है। वित्तीय बीड नहीं खोलने के कारण टेंडर फाइनल करने का मामला अधर में लटका हुआ है। संवेदकों ने आरोप लगाया कि चहेते संवेदक को लाभ पहुंचाने के लिए नप प्रशासन नियमों के विपरीत कार्य कर रहा है। नप के इस रवैये से संवेदकों में आक्रोश बढ़ने लगा है।
डुमरांव नगर परिषद में कुल 35 वार्ड में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए दो सफाई एनजीओ को तैनात किया गया है। वार्ड संख्या 1 से 16 और 17 से 35 के बीच दो एनजीओ को सफाई की जिम्मेवारी सौपी गई थी। नगर परिषद के सूत्रों ने बताया कि सफाई एनजीओ के कार्यकाल पिछले अगस्त माह में समाप्त हो चुका है। सफाई एनजीओ के लिए नप ने टेंडर निकाला है।
बावजूद इसके साढ़े चार माह से अवधि विस्तार देकर पुराने एनजीओ से काम लिया जा रहा है। एनजीओ का टेंडर पिछले अक्टूबर माह में नप ने निकाला था। इसमें में वार्ड 1 से 16 विस्तारित क्षेत्र के लिए कुल 4 और वार्ड 17 से 35 के लिए कुल 7 एनजीओ से जुड़े संवेदकों ने टेंडर डाला है। सूत्रों ने बताया कि नप प्रशासन ने पिछले 11 नवंबर 2023 को तकनीकी बीड खोला था।
तकनीकी बीड खोलने के बाद जांच के नाम पर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। वित्तीय बीड नहीं खोले जाने के कारण अब तक टेंडर फाइनल नहीं हो पाया है। ऐसी चर्चा है कि पुराने एनजीओ को लाभ देने के उद्देश्य से अवधि विस्तार दिया जा रहा है। जानकार बताते है कि एक माह से अधिक अवधि का विस्तार देना नियमानुकूल नहीं है। वित्तीय बीड नहीं खोलने के पीछे टेंडर मैनेज करने की चर्चा हो
रही है। जानकार बताते है कि वार्डों की सफाई पर प्रतिमाह 45 लाख की राशि खर्च होती है। मोटी रकम होने के कारण हर कोई अपना वर्चस्व चाहता है। यही कारण है कि कई राजनीतिक दलों के लोगों का भी हस्तक्षेप है। सफाई एनजीओ पर दबदबा रखने के खेल में टेंडर फाइनल होने का मामला खींचता जा रहा है। नप के ईओ अनिरुद्ध कुमार कहते है कि तकनीकी बीड के कागजातों की जांच लगभग पूरी हो चुकी है। जल्द वित्तीय बीड खोल टेंडर फाइनल कर दिया जाएगा।