ग्रामीण इलाकों के लोगों में बढ़ रही नियोजन के प्रति जागरूकता, अस्थायी साधानों का प्रयोग बढ़ा
जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा पीएचसी, यूपीचसी, और एचडब्ल्यूसी पर परिवार दिवस का आयोजन किया जाता है। जिसके तहत स्वास्थ्य संस्थानों पर आईयूसीडी एवं अंतरा कैंप का आयोजन के साथ कंडोम बॉक्स व डिस्प्ले ट्रे भी लगाया जाता है। जिसमें पुरुषों के लिए कंडोम के अलावा महिलाओं के लिए सभी प्रकार के गर्भनिरोधक उपलब्ध कराए जाते हैं। ताकि, लोग नियोजन के इन अस्थायी सांधानों का अधिक से अधिक उपयोग करें।
- माह के 21वीं तिथि को जिले के स्वास्थ्य संस्थानों में मनाया जाता है परिवार नियोजन दिवस
- शहरी व ग्रामीण इलाकों के लोगों को परिवार नियोजन के प्रति किया जाता है जागरूक
बक्सर| जिले में परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर माह की 21वीं तिथि को परिवार नियोजन दिवस मनाया जाता है। इस क्रम में जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा पीएचसी, यूपीचसी, और एचडब्ल्यूसी पर परिवार दिवस का आयोजन किया जाता है। जिसके तहत स्वास्थ्य संस्थानों पर आईयूसीडी एवं अंतरा कैंप का आयोजन के साथ कंडोम बॉक्स व डिस्प्ले ट्रे भी लगाया जाता है। जिसमें पुरुषों के लिए कंडोम के अलावा महिलाओं के लिए सभी प्रकार के गर्भनिरोधक उपलब्ध कराए जाते हैं। ताकि, लोग नियोजन के इन अस्थायी सांधानों का अधिक से अधिक उपयोग करें। साथ ही, ओपीडी एरिया, काउंसलिंग एरिया एवं टीकाकरण एरिया में प्रदर्शित करके संस्थान में आने वाले अधिक से अधिक लोगों को बास्केट ऑफ चॉइस के बारे में बताया जाता है। वहीं, महिलाआं को गर्भनिरोधक अपनाने के लिए प्रेरित भी किया जाता है।
अस्थायी साधानों के प्रति लोगों में बढ़ा है रूझान :
सदर प्रखंड के सामुदायिक उत्प्रेरक प्रिंस कुमार सिंह ने बताया, परिवार नियोजन दिवस के माध्यम से शहरी के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में लोगों को नियोजन के अस्थायी साधानों के प्रयोग के लिए प्रेरित किया जाता है। इस क्रम में हाल के दिनों में देखा जा रहा है कि पूर्व की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में लोगों में अस्थायी साधानों के प्रति जागरूकता बढ़ी है। लोग नियोजन दिवस के अवसर पर परिवार नियाजन के अस्थायी साधानों के लिए स्वास्थ्य संस्थानों में आ रहे हैं। पहले लोग शर्म व लज्जा के कारण नियोजन के अस्थायी साधानों नहीं उपयोग करते थे। लेकिन, अब लोगों में इनका रूझान बढ़ा है। जो एक अच्छा संकेत है। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा समय समय पर योग्य दंपतियों को काउंसिलिंग के लिए चिकित्सकों और सीएचओ के पास लाया जाता है। जिससे योग्य दंपतियों में भी जागरूकता बढ़ रही है।
योग्य लाभुकों का काउंसिलिंग जरूरी :
डीसीएम हिमांशु सिंह ने बताया, परिवार की खुशहाली के लिये दो बच्चों के बीच पर्याप्त अंतर, परिवार के आकार का छोटा व सीमित होना जरूरी है। इसके योग्य लाभुकों का काउंसिलिंग जरूरी है। आम लोगों को छोटे परिवार के फायदे व परिवार नियोजन संबंधी उपलब्ध विकल्पों के प्रति जागरूक किया जाना जरूरी है। जो बढ़ती जनसंख्या पर प्रभावी नियंत्रण के साथ-साथ परिवार व समाज की खुशहाली के लिहाज से जरूरी है। जिले में योजन संबंधी उपलब्ध संस्थानों के महत्व से अवगत कराते हुए लोगों को इसे अपनाने के लिये प्रेरित किया जाता है। इसके लिये काउंसिलिंग भी की जा रही है। जिसके माध्यम से नियोजन को लेकर उपलब्ध विभिन्न विकल्पों की जानकारी लाभुकों तक पहुंचाया जा रहा है। ताकि वे अपनी पसंद व जरूरत के हिसाब से इसमें से किसी एक का चयन कर सकें।