बालू के विवाद ने छीना तीन परिवारों का सुख-चैन, वीरेंद्र की मौत से मासूम हुए बेसहारा
अहियापुर गांव में बालू-गिट्टी के कारोबार को लेकर हुए खूनी संघर्ष ने तीन परिवारों की खुशियों को मातम में बदल दिया। गोलीबारी में वीरेंद्र सिंह, सुनील कुमार और विनोद सिंह की मौत हो गई। वीरेंद्र सिंह की मौत से उनके मासूम बच्चों, 7 वर्षीय निशु और 10 वर्षीय गुड्डू के सिर से पिता का साया उठ गया।

- पहले ही हो चुकी थी मां की मौत, अनाथ बच्चों को रोता देख भर आ रही थी मौजूद लोगों की आंखें
केटी न्यूज/बक्सर
अहियापुर गांव में बालू-गिट्टी के कारोबार को लेकर हुए खूनी संघर्ष ने तीन परिवारों की खुशियों को मातम में बदल दिया। गोलीबारी में वीरेंद्र सिंह, सुनील कुमार और विनोद सिंह की मौत हो गई। वीरेंद्र सिंह की मौत से उनके मासूम बच्चों, 7 वर्षीय निशु और 10 वर्षीय गुड्डू के सिर से पिता का साया उठ गया।
मां को उन्होंने छह साल पहले खो दिया था, अब पिता की मौत ने दोनों को बेसहारा कर दिया। अपने पिता की लाश से लिपटे दोनों बच्चे बार-बार बिलखते हुए पूछ रहे थे, अब केकरा सहारे रहब जा हो पापा...? इस मार्मिक दृश्य को देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
वहीं, सुनील कुमार की मौत से उनके छोटे भाई सुदामा सिंह की शादी की खुशियां भी मातम में बदल गईं। 1 जून को तिलक और 6 जून को शादी की तैयारियां जोरों पर थीं, मगर अचानक हुई इस घटना ने सब कुछ उजाड़ दिया। सुनील की पत्नी आशा देवी और उनके तीन बच्चों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
गांव में मातम पसरा हुआ है। लोग सवाल कर रहे हैं कि अब इन मासूमों के भविष्य का सहारा कौन बनेगा? वहीं, मासूम को देख लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा था कि आखिर इनकी क्या गलती थी, इन्हें क्यों यतीम बना दिया गया।